पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में मौजूद श्री कटास राज मंदिरों के दर्शन के लिए कम से कम 55 हिंदू तीर्थयात्री वाघा बॉर्डर के रास्ते लाहौर पहुंचे हैं। मंदिरों और गुरुद्वारों का दर्शन करने जहां भारत से हिन्दू और सिख पाकिस्तान की यात्रा करते हैं वहीं पाकिस्तान से भी लोग प्रोटोकॉल के तहत हर साल भारत आते हैं। यह यात्रा पहले से तय होती है और कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही तय होता है कि किन लोगों को बॉर्डर क्रॉस करने की अनुमति मिल सकती है।
इवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि विजय कुमार शर्मा के नेतृत्व में 55 हिंदू तीर्थयात्रियों का एक ग्रुप कटास राज मंदिरों में अपने धार्मिक उत्सव में भाग लेने के लिए मंगलवार को वाघा सीमा को पार कर लाहौर पहुंचा है। ईटीपीबी एक वैधानिक बोर्ड है जो विभाजन के बाद भारत आ गए हिंदुओं और सिखों की धार्मिक संपत्तियों और मंदिरों का ध्यान रखता है। वाघा बॉर्डर पर भारतीय यात्रियों का स्वागत किया गया और उन्हें फूलमालाएं पहनाई गईं। जानकारी दी गई कि हिंदू तीर्थयात्री अपने सात दिवसीय यात्रा के दौरान लाहौर में अन्य मंदिरों के भी दर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्सव में भाग लेने के लिए बुधवार सुबह कटास राज मंदिरों के लिए रवाना होने से पहले हिंदू तीर्थयात्री लाहौर के गुरुद्वारा डेरा साहिब में रुकेंगे। जिस अहम कार्यक्रम के तहत यात्री वहां पहुंचे वह दो दिवसीय कार्यक्रम 21 दिसंबर को कटास राज के 17 मंदिरों में शुरू होगा। स्थानीय हिंदू भी दीप माला उत्सव में शामिल होंगे। शनिवार को तीर्थयात्री लाहौर लौटेंगे जहां वे कृष्ण मंदिर के दर्शन करेंगे और सोमवार को अपने घर के लिए रवाना होंगे।
कटास राज मंदिर जिसे किला कटास के नाम से भी जाना जाता है हिंदू समुदाय के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व रखता है।
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान उच्चायोग ने सिंध में एक अन्य प्रतिष्ठित हिंदू आध्यात्मिक स्थल शदानी दरबार में शिव अवतारी सतगुरु संत शदाराम साहिब की 315वीं जयंती समारोह में भाग लेने के लिए 104 हिंदू तीर्थयात्रियों को वीजा जारी किया था।