बीते 20 दिसंबर को इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक दिल्ली में हुई थी। इस बैठक में टीएमसी और सीपीआईएम के नेता एक मंच पर साथ दिखे थे। माना जा रहा है बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में सीपीआईएम को सीटें देने पर सहमत हो गईं हैं। लेकिन बैठक के ठीक 4 दिन बाद CPIM बंगाल में ममता सरकार विरोधी प्रदर्शन में बीजेपी के साथ खड़ी नजर आई।
बीजेपी और CPIM के नेता शनिवार को हावड़ा में एक मंच पर दिखे। राज्य में ‘समग्रमी जौथा मंच’ से जुड़े राज्य सरकार के कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इनके प्रदर्शन में बीजेपी और सीपीआईएम के नेता शामिल हुए और ममता सरकार पर निशाना साधा। ये कर्मचारी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए में 4 प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की थी। इसमें स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी, सभी सरकारी विभागों के कर्मचारी और पेंशनभोगी शामिल थे।
विरोध प्रदर्शन करते हुए समग्री जौथा मंच डीए में और बढ़ोतरी की मांग कर रहा है जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर है। शनिवार की सुबह सीपीआई (एम) के मोहम्मद सलीम विरोध स्थल पर पहुंचे और प्रदर्शनकारी सरकारी कर्मचारियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। इसके साथ ही भ्रष्टाचार को लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए सलीम ने कहा, ”मैं आपकी मांगों का पूरा समर्थन करता हूं। आपने एक आंदोलन शुरू किया है। यह सरकार भ्रष्टाचार और कोयला, मवेशी और रेत की तस्करी में व्यस्त है। वे सरकारी कर्मचारियों को नौकरों की तरह मानते हैं।”
बाद में बीजेपी सांसद दिलीप घोष भी मौके पर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। कोलकाता के धर्मतला में डीए बढ़ोतरी के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा साल भर चले विरोध प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “आपका स्थान बदल गया होगा लेकिन आपकी इच्छा शक्ति नहीं बदली है। यह आपका अधिकार (डीए बढ़ोतरी) है और आपको इसे छीन लेना चाहिए।” टीएमसी सरकार की 4 फीसदी डीए बढ़ोतरी की घोषणा का जिक्र करते हुए दिलीप घोष ने कहा, “राज्य सरकार के कर्मचारी डीए में और बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं और घोषणा कर रहे हैं कि 4 फीसदी की बढ़ोतरी स्वीकार्य नहीं है।”
बंगाल प्रशासन पर आंदोलन और विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाते हुए दिलीप घोष ने दावा किया कि ऐसे किसी भी कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट का रुख करना होगा। उन्होंने कहा, ”अगर किसी को हर बात के लिए हाई कोर्ट जाना पड़ता है, तो आपको (ममता बनर्जी सरकार) इस्तीफा दे देना चाहिए। लोगों ने इस उम्मीद से टीएमसी को वोट दिया कि वह अच्छा शासन देगी। आपको जनता का सम्मान करना होगा, उनकी शिकायतें सुननी होंगी और उन्हें हल करने का प्रयास करना होगा, लेकिन आप उन पर कोई ध्यान नहीं देना चाहते हैं।”
बड़ा सवाल उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन में तो सीपीएम और टीएमसी दोनों शामिल हैं लेकिन बंगाल में अगर दोनों एक दूसरे के खिलाफ विरोध करेंगे, तो जनता के बीच क्या संदेश जाएगा? साथ ही ममता बनर्जी का इस पर क्या रिएक्शन आता है, यह भी काफी महत्वपूर्ण होगा।