Delh Metro: दिल्ली मेट्रो ट्रेन के गेट में साड़ी फंसने से गिरी महिला की मौत के बाद डीएमआरसी की तकनीकी व्यवस्था पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। मेट्रो ट्रेन की टेक्नोलॉजी शुक्रवार से पहले भी तार-तार हो चुकी है। मेट्रो के दरवाजों में तकनीकी खामी के कारण सैकड़ों लोगों की जान सांसत में पड़ चुकी है। शायद यही वजह रही कि रविवार को राजधानी में मुआवजे को लेकर प्रदर्शन कर रहे मृतक के रिश्तेदारों की एक मांग यह भी रही कि ‘डीएमआरसी मेट्रो स्टेशनों पर अपने तय व्यवस्था का पूरी तरह से लागू करे, जिसमें सभी यात्री के सुरक्षित तरीके से सवार होने के बाद ही गाड़ी रवाना हो।’
बहरहाल, शुक्रवार की घटना दिल्ली मेट्रो की लापरवाही की पहली वारदात नहीं है। कुछ समय पहले पुरानी दिल्ली की सुरंग में रात्रि में करीब 10 बजे येलो लाइन पर सैकड़ों लोगों की जान सांसत में पड़ी। मुसाफिर अली अब्बास ने अपने मोबाइल में कैद तस्वीरों से इसकी पोल खोली थी। हुड्डा सिटी सेंटर से समयपुर बादली जाने वाली रूट पर एक मेट्रो चावड़ी बाजार से लेकर कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन तक खुले दरवाजे में दौड़ी। हद तो तब हो गई जब मेट्रो में सवार लोगों ने इसकी खबर मेट्रो प्रबंधन को देने के लिए अलार्म बटन भी दबाया, लेकिन नाकाम बात नहीं बनी। यात्रियों ने इसका वीडियो बनाया।
हालांकि मेट्रो ने इसका संज्ञान लिया और ट्रेन को विश्वविद्यालय पर खाली कराया गया। लेकिन तब तक इस घटना ने मेट्रो की बड़ी लापरवाही उजागर कर दी थी। इस पर कौन सी कमेटी बैठी और क्या हुआ इसकी कोई खबर मीडिया को नहीं दी गई।
अलबत्ता डीएमआरसी ने यह सफाई जरूर दी कि तकनीकी खराबी की वजह से आंशिक तौर पर मेट्रो के दरवाजे खुले रह गए और अगले ही स्टेशन पर मेट्रो के स्टाफ ने एहतियात के तौर पर दरवाजे को घेरा, ताकि कोई हादसा न हो। इसके बाद कश्मीरी गेट पर दरवाजा बंद कर दिया गया। बाद में गाड़ी को रूट से हटा लिया गया।
सुरक्षा में लगे एक अधिकारी का कहना है कि तकनीकी का मानव संसाधन से पूरक संबंध है। अधिकारियों का कहना है कि कम स्टाफ भी बड़ी वजह है।
दिल्ली मेट्रो में यात्रा कर रहे लोगों को कई बार ट्रेन में सवार होने या उतरने में काफी दिक्कतें होती हैं। अचानक गेट बंद हो जाने या चलती ट्रेन के अचानक रुक जाने से झटका लगने जैसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। इसकी वजह से कई बार हादसे भी हो चुके हैं।