उत्तर प्रदेश में कुल 80 मदरसों को पिछले तीन वर्षों में विदेशों से लगभग 100 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त हुई है। योगी सरकार ने जांच के लिए एक एसआईटी गठित की थी। जांच में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कई मामलों में पैसा सीधे इन मदरसों का प्रबंधन करने वाली सोसायटी और गैर सरकारी संगठनों के बैंक खातों में जमा किया गया था।
मदरसों के विदेशी फंडिंग की सोर्स की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व एक अतिरिक्त महानिदेशक रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। इसमें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक और साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में लगभग 25,000 मदरसों में से 16,500 से अधिक मदरसा यूपी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। अपनी जांच के दौरान एसआईटी ने राज्य में मदरसा चलाने वाले व्यक्तियों, समाजों और गैर सरकारी संगठनों की पहचान की और उनके बैंक खातों की जानकारी इकठ्ठा की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने पाया कि 80 मदरसों के बैंक खातों में विदेशों से धन ट्रांसफर किया गया। ये मदरसे राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं, जिनमें बहराइच, सिद्धार्थ नगर, सहारनपुर, आज़मगढ़ और रामपुर जिले शामिल हैं। पैसा दुनिया भर के विभिन्न स्थानों (विशेष रूप से मध्य पूर्व, लंदन और दुबई) से बैंक खातों में भेजा गया था। अन्य मदरसों के फंडिंग सोर्स की जांच प्रक्रिया में है।”
जिन 80 मदरसों को चिन्हित किया गया है, एसआईटी उन संस्थाओं और व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटा रही है, जिन्होंने बैंक खातों में पैसा जमा कराया था। इस चीज की भी जांच हो रही है कि धनराशि सामाजिक कारणों के लिए दी गई थी या नहीं।
अधिकारी ने कहा, ”हम मदरसे के रखवालों से उन लोगों के बारे में जानकारी मांगेंगे जिन्होंने पैसे भेजे थे। यदि आवश्यक हुआ, तो हम विवरण इकट्ठा करने के लिए R&AW और IB जैसी केंद्रीय एजेंसियों से सहायता लेंगे। सहयोग के लिए केंद्रीय एजेंसियों को एक रिपोर्ट भेजी जाएगी। एसआईटी ने इन मदरसों से यह भी जानकारी लेने का फैसला किया है कि उन्होंने विदेशी फंड कैसे खर्च किया। उन्हें यह दिखाने के लिए बिल और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा जाएगा कि उन्होंने पैसे कैसे खर्च किए।” संपर्क करने पर एसआईटी चीफ मोहित अग्रवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जांच अभी भी जारी है। एसआईटी का गठन इस साल जनवरी में किया गया था।
अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि नेपाल सीमा से लगे इलाकों में कई मदरसों ने जकात और दान को अपने धन का प्राथमिक स्रोत बताया था। हालांकि सर्वे टीमों ने पाया कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग ज़कात या दान देने के लिए बहुत गरीब थे। इन मदरसों की पहचान की गई और उनके फंडिंग के स्रोतों की दोबारा जांच करने के निर्देश जारी किए गए। उन्होंने यह भी कहा था कि ये मदरसे अपने दानदाताओं की पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि धन विदेश से आ रहा है।