यूपी के पीलीभीत के 11 साल के एक बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होकर खुद को जीवित बताया और कहा कि उसके पिता ने नाना और मामा लोगों को उसकी हत्या के झूठे केस में फंसाने के लिए उसे मरा हुआ घोषित किया था। बच्चे ने कहा कि वह फरवरी 2013 से अपने ननिहाल में रह रहा है। उसकी मां को उसके पिता ने दहेज के लिए बुरी तरह से पिटाई कर मार डाला था।
फरवरी 2010 में पिता की शादी हुई थी। शादी के तीन साल बाद मार्च 2013 में मां की मौत हो गई। इसके बाद बच्चे के नाना ने उसके पिता के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया था। तब से दोनों पक्षों के बीच लड़के की कस्टडी को लेकर जोरदार लड़ाई चल रही है। दोनों पक्ष ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा लगाया हुआ है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक लड़के के वकील कुलदीप जौहरी ने बताया, “इस साल की शुरुआत में लड़के के पिता ने उसके नाना और चारों मामा पर लड़के की हत्या का आरोप लगाया था। उसने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 504 (जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।
वकील कुलदीप जौहरी ने कहा, “उन्होंने एफआईआर रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया, जिसकी वजह से उन्हें लड़के के साथ जीवित होने के सबूत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश होना पड़ा।”
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक और न्यूरिया थाने के एसएचओ को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक याचिका दाखिल करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए।