विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में ‘राजनीतिक सहूलियत’ को आड़े नहीं आने देने का आह्वान किया। यह बयान कूटनीतिक गतिरोध के बीच कनाडा पर परोक्ष प्रहार प्रतीत होता है।
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान तथा अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि वे दिन बीत गये जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें।
उन्होंने कहा कि दुनिया उथल-पुथल के असाधारण दौर से गुजर रही है। इस दौर में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है। उन्होंने जी20 का जिक्र करते हुए कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने से UN को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।
उन्होंने ग्लोबल डिप्लोमेसी का जिक्र करते हुए कहा कि गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने ‘विश्व मित्र’ की अवधारणा विकसित की है। जब हम अग्रणी शक्ति बनने की आकांक्षा रखते हैं तो यह आत्म-प्रशंसा के लिए नहीं, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी उठाने और अधिक योगदान करने के लिए होती है। बिना किसी राष्ट्र का जिक्र किए उन्होंने कहा कि अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं। यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता। इनपुट- भाषा