बॉम्बे हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी मामले में मंगलवार को महाराष्ट्र के महाधिवक्ता से राय मांगी है। भाजपा कार्यकर्ता महेश श्रीश्रीमल ने 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के बारे में राहुल गांधी की कमांडर-इन-थीफ टिप्पणी पर मानहानि की शिकायत दर्ज की थी। राहुल गांधी के खिलाफ मजिस्ट्रेट अदालत ने केस शुरू किया था। राहुल ने इस मामले को खारिज करने की मांग की थी।
राहुल गांधी ने निचली अदालत के सम्मन को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने नवंबर 2021 में मजिस्ट्रेट को सुनवाई स्थगित करने का निर्देश दिया था। तब से हाईकोर्ट में सुनवाई टलती रही है। मंगलवार को राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसवी कोटवाल ने कहा कि याचिका में कानून के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए वो महाराष्ट्र के महाधिवक्ता से इस मामले से जुड़े सभी कानूनी मुद्दों पर अदालत की सहायता करने का अनुरोध करना जरूरी समझते हैं।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर के लिए तय की। राहुल गांधी के वकील सुदीप पसबोला ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CCP) की धारा 199 (2) का हवाला दिया, जिसके तहत एक सत्र अदालत ऐसे मामले का संज्ञान ले सकती है, जहां जनप्रतिनिधी पर आरोप लगाया गया हो। वकील ने कहा कि इसलिए कोई मजिस्ट्रेट ऐसे मामले की सुनवाई नहीं कर सकता। उनका कहना था कि आईपीसी की धारा 499 के तहत एक राजनीतिक दल को व्यक्तियों का समूह नहीं कहा जा सकता है। इसलिए श्रीश्रीमाल शिकायत दर्ज नहीं करा सकते। श्रीश्रीमल के वकील नितिन प्रधान ने दलील दी कि वह भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश समित के सदस्य के रूप में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
राहुल गांधी गुजरात के एक मामले में नुकसान उठा चुके हैं। एक अदालत ने उनको दो साल की सजा मानहानि के केस में ही सुनाई थी। राहुल के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर वहां केस दर्ज कराया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सजा को निलंबित कर दिया है। लेकिन राहुल को इस दौरान कई अदालतों के चक्कर काटने पड़े। उनकी संसद सदस्यता भी इस दौरान बर्खास्त रही।