भारत-कनाडा के बीच विवाद की वजह बने हरदीप निज्जर को लेकर NIA ने कई खुलासे किए हैं। NIA की चार्जशीट में खालिस्तान टाइगर फोर्स का असल मुखिया हरदीप सिंह निज्जर को ही बताया गया है, इसके साथ ही कनाडा में निज्जर की ‘टेरर कंपनी’ को लेकर भी कई दावे किए गए हैं। गौरतलब है कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर को 2020 में आतंकवादी घोषित कर दिया था।
इस साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में अज्ञात हमलावरों द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है।
इस साल की शुरुआत में NIA ने एक चार्जशीट पेश की थी, जिसमें खुलासा किया गया था कि खालिस्तान समर्थक संगठनों और उसके सदस्यों के लिए जबरन वसूली और तस्करी के माध्यम से जो पैसा कमाया गया था, उसे कनाडा स्थित कंपनी द्वारा नौकाओं, फिल्मों और यहां तक कि कनाडाई प्रीमियर लीग में निवेश किया गया था।
हिंदुस्तान टाइम्स ने चार्जशीट के आधार पर जानकारी दी है कि 2019 से 2021 तक 13 उदाहरणों को सामने रखा गया है जिसमें जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई द्वारा हवाला के जरिए 5 लाख से 60 लाख के बीच की धनराशि कनाडा और थाईलैंड भेजी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआईए ने दावा किया है कि खालिस्तान समर्थक नेताओं और गैंगस्टरों द्वारा भारत से पैसा थाईलैंड के बार और क्लबों में भी निवेश किया गया था।
इस पैसे का उपयोग जबरन वसूली, अवैध शराब, हथियारों की तस्करी के कारोबार आदि के लिए भी किया गया। पहले की जांच से पता चला था कि लॉरेंस बिश्नोई अपने करीबी सहयोगी सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर कनाडा की से संचालित खालिस्तानी समूहों, खासकर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के नेता लखबीर सिंह लांडा के लिए काम करता था। एनआईए की चार्जशीट में सतबीर सिंह उर्फ सैम का भी जिक्र है, जो भारत से जबरन वसूली और तस्करी से जुटाए गए अवैध धन को कनाडा में संभालता था।
इसी बीच खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर एक और बड़ी बात सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादी निज्जर भारत पर आतंकी हमले की साजिश रच रहा था। इसके लिए उसने बाकायदा पाकिस्तान में खतरनाक हथियारों की ट्रेनिंग ली थी। आतंकवादी घोषित करने से छह साल पहले 2014 में भारत ने खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर के खिलाफ एक इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया था।