पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राजनीतिक दलों ने भी चुनाव के ऐलान के बाद तैयारी तेज कर दी है। कांग्रेस ने पिछले दिनों राजस्थान में ऐलान किया कि पार्टी 16 अक्टूबर से ‘काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से’ नारे के साथ अपना चुनावी अभियान शुरू करेगी। कांग्रेस ने चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक की। इस बैठक में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERPC) को कांग्रेस ने अपनी प्राथमिकता सूची में रखा है। कांग्रेस इस कैंपेन के बहाने बीजेपी पर निशाना साध रही है। आखिर यह परियोजना क्या और कांग्रेस कैसे इसके बहाने बीजेपी को बैकफुट पर लाने की तैयारी कर रही है। इस रिपोर्ट में समझते हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERPC) राजस्थान के 13 जिलों के लिए बनाई गई एक सिंचाई और पेयजल परियोजना है। इस योजना में इन 13 जिलों में 2051 तक पानी का पूर्ति होनी है। पूर्वी राजस्थान के जयपुर, अजमेर, करौली, टोंक, दौसा, सवाई माधोपुर, अलवर, बारा, झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी और कोटा को यह परियोजना पानी का सप्लाई से जोड़ेगी। अगर यह योजना सफल हुई तो पूर्वी राजस्थान में 2.02 लाख हेक्टेयर नई सिंचाई भूमि बनेगी और पीने वाले पानी के साथ किसानों को सिंचाई के लिए भी जरूरत का पानी मिल सकेगा।
इस परियोजना में राजस्थान की पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदी को जोड़ने की बात कही गई है। इन नदियों को अगर आपस में जोड़ा जाता है तो ना सिर्फ लोगों को पीने का पानी मिलेगा बल्कि किसानों को भी इससे सिंचाई में मदद मिलेगी। दरअसल चंबल नदी में पूरे साल पानी रहता है। इसका करीब 20 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी हर साल बंगाल की खाड़ी में बह जाता है। इसी पानी को रोकने और इस्तेमाल में लाने के लिए यह योजना बनाई जा रही है। यह योजना कोई नई नहीं है। बल्कि इसे वसुंधरा राजे के कार्यकाल में तैयार किया गया था। ईआरसीपी योजना के लिए 40 हजार करोड़ का बजट तय किया गया है।
कांग्रेस चुनावी मौसम में इसे मामले को फिर उठा रही है। इसके बहाने केंद्र सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। दरअसल 2018 में चुनावी सभाओं के दौरान पीएम मोदी ने इस योजना को राष्ट्रीय योजना का दर्जा देकर लोगों को वोट मांगे थे। इसके बाद भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसी साल फरवरी में भी अशोक गहलोत ने इसे लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा था। वहीं जिन 13 जिलों को इस योजना से लाभ मिलना था वहां सीटों का गणित भी समझें राजस्थान की कुल 200 सीटों में से 83 सीटें इन्हीं 13 जिलों से आती हैं। आबादी के हिसाब से देखें को राजस्थान की करीब 42 फीसदी आबादी इन्हीं जिलों में रहती है।