Manipur Violence: हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर में इंटरनेट सेवा बहाल होते ही जुलाई से लापता दो छात्रों के शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। जिसमें दोनों छात्रों के शव जमीन पर पड़े हुए नजर आ रहे हैं। जिसमें एक छात्र का सिर कटा हुआ है। तस्वीर में दो हथियारबंद लोग जंगल में जमीन पर बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं। ये तस्वीरें दो छात्रों के लापता होने के दो दिन बाद 8 जुलाई को ली गईं। हालांकि, दोनों शव अभी तक नहीं मिले हैं।
इस मामले में मणिपुर सरकार ने कहा कि जो भी हत्यारें हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले की जांच सीबीआई कर रही है। जुलाई में दोनों छात्र एक दुकान में लगे सीसीटीवी कैमर में दिखाई दिए थे, लेकिन उसके बाद से उनका पता नहीं चल सका।
एक बयान में मणिपुर के मुख्यमंत्री सचिवालय ने सोमवार देर रात पुष्टि करते हुए कहा कि तस्वीरें इंफाल के 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत और 17 वर्षीय हिजाम लिनथोइंगंबी की हैं। दोनों मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। दोनों 6 जुलाई को लापता हो गए थे और उनका कोई पता नहीं चल पाया था, जबकि सुरक्षा एजेंसियां उनकी तलाश कर रही थीं। घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सड़क पर प्रदर्शन भी किया था। बयान में कहा गया, “यह मामला सामने आने के बाद राज्य के लोगों की इच्छा के अनुसार तुरंत सीबीआई को सौंप दिया गया है। पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं. दोनों छात्रों की हत्या करने वालों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है। सरकार जनता को आश्वासन देती है कि फ़िज़ाम हेमजीत और हिजाम लिनथोइंगंबी के अपहरण और हत्या में शामिल सभी लोगों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।”
बयान में आगे कहा गया है कि सरकार मारे गए छात्रों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और “इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार पाए गए किसी भी अपराधी को कड़ी सजा” देने के लिए प्रतिबद्ध है। बयान में जनता से “संयम बरतने और अधिकारियों जांच करने देने की अवधि तक शांति बनाए रखने की अपील की है।
मई के बाद से मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच जातीय हिंसा में कम से कम 175 लोग मारे गए हैं और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं। कुकी और अन्य जनजातीय समूह पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जबकि मैतेई इंफाल घाटी और मैदानी इलाकों में रहते हैं।
केंद्रीय बलों को बफर जोन या तलहटी से सटे इलाकों में तैनात किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुकी और मैतेई दोनों पक्षों के हथियारबंद लोग हमले शुरू करने के लिए उन्हें पार न कर सकें। उन्हें राज्य पुलिस को भी साथ लिए बिना बफर जोन पार करने की अनुमति देने के खिलाफ निर्देशित किया गया है। राज्य पुलिस पर लगे पक्षपात के आरोपों के बीच यह निर्देश जारी किया गया।
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।