दोफाड़ हुई शिवसेना के विधायकों की अयोग्यता के मसले पर स्पीकर फैसला लेने में गुरेज कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने इस बात पर नाखुशी जताई तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि स्पीकर एक संवैधानिक पद है। वो एक संवैधानिक संस्था (सुप्रीम कोर्ट) के सामने दूसरी संवैधानिक संस्था (स्पीकर) की शान में बट्टा नहीं लगा सकते। सीजेआई ने बीच में दखल देकर सॉलिसिटर को कानून समझाकर बताया कि स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट का फरमान क्यों मानना होगा। उसके बाद सीजेआई ने हिदायत दी कि अयोग्यता पर कार्यवाही पूरी करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करते हुए स्पीकर एक सप्ताह के भीतर निर्देश जारी करें। सॉलिसिटर जनरल शीर्ष अदालत को उस समयसीमा के बारे में सूचित करेंगे।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत स्पीकर एक ट्रिब्यूनल हैं। ऐसे में वह सुप्रीम अदालत के प्रति उत्तरदायी हैं। बेंच ने कहा कि 11 मई के फैसले के बाद लंबित अयोग्यता याचिकाओं के बारे में कुछ नहीं किया गया है। वो मामले को लटका रहे हैं, बावजूद इसके कि हमने समग्र सुनवाई करके उनको आदेश दिया था कि वो एक तय समय सीमा के भीतर विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लें। सीजेआई ने कहा कि वो मामले को दो सप्ताह बाद लिस्ट कर रहे हैं। इस मसले को हमेशा के लिए जिंदा नहीं रखा जा सकता। फैसला तो लेना ही होगा।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले का जिक्र किया। बेंच ने तय समयसीमा के भीतर अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसला करने के लिए अध्यक्ष को हिदायतें जारी की थीं। सीजेआई ने कहा कि अध्यक्ष को शीर्ष न्यायालय की गरिमा का सम्मान करते हुए उसके फैसले का पालन करना होगा। शिंदे और उनका समर्थन करने वाले शिवसेना के अन्य विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध संबंधी शिवसेना (यूबीटी) गुट की याचिका को दो सप्ताह के बाद लिस्ट किया गया है।
उद्धव ठाकरे गुट ने जुलाई में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर महाराष्ट्र के स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र फैसला करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। विधायक सुनील प्रभु की याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद स्पीकर राहुल नार्वेकर जानबूझकर फैसले में देरी कर रहे हैं। अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में 2022 में शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक सुनील प्रभु ने ही दायर की थी। शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने जून 2022 में महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया था। उसके बाद उद्धव और शिंदे गुट के बीच तनातनी शुरू हुई थी।