कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि बहनें परिवार की सदस्य नहीं होतीं। हाई कोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी बहन के नौकरी पर दावे को ठुकराते हुए यह बात कही। नियमों के मुताबिक, अगर किसी सरकारी कर्मचारी की नौकरी पर रहते हुए मौत होती है तो उसके परिवार के किसी सदस्य को उसकी जगह पर नौकरी दिए जाने का प्रावधान है। इन्हीं नियमों के तहत बहन ने अपने भाई की मौत के बाद कंपनी से नौकरी की मांग की थी।
महिला ने अपनी अर्जी में भाई के स्थान पर नौकरी की मांग की थी लेकिन हाई कोर्ट ने महिला की समाज को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि बहन परिवार की परिभाषा में नहीं आती है। चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की बेंच ने यह कहा है कि एक बहन अपने भाई के परिवार की परिभाषा में शामिल नहीं हैं। बहनें परिवार का हिस्सा नहीं होती हैं।
कंपनी एक्ट 1956 और कंपनीज एक्ट 2013 का हवाला देते हुए कंपनी ने बहन को इन्हीं कानून के तहत नौकरी देने से इनकार कर दिया था। यह मामला कर्नाटक के तुमकारू का बताया जा रहा है। यहां बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड में एक कर्मचारी के पद पर ड्यूटी के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद उसकी बहन ने भाई के स्थान पर कंपनी से नौकरी की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने उस मांग को इनकार कर दिया जिसके बाद वह सेशन कोर्ट पहुंच गई, जहां एकल जज ने याचिका खारिज कर दी।
बाद में उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया, जहां दो जजों चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की बेंच ने कहा कि ‘एक बहन अपने भाई के परिवार की परिभाषा में शामिल नहीं हैं। बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह बहन है, उसे मृतक के परिवार का हिस्सा नहीं माना जा सकता। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट परिवार की परिभाषा की रूपरेखा का विस्तार नहीं कर सकती, जहां नियम बनाने वालों ने पहले से ही अलग-अलग शब्दों में व्यक्तियों को परिवार के सदस्य के रूप में परिभाषित कर रखा है। इस हालात में कोर्ट परिभाषा में एक को जोड़ या हटा नहीं सकती। बेंच ने कहा कि अगर बहन द्वारा दिए गए तर्क को स्वीकार भी किया जाता है तो यह नियमों को फिर से लिखने जैसा होगा इसलिए तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
दरअसल, कर्मचारी की बहन पल्लवी ने हवाला देते हुए कहा कि, वह अपने भाई पर निर्भर थी और वह मेरे परिवार का सदस्य था और मैं उसे परिवार में सदस्य होने के नाते मुझे नौकरी मिलनी चाहिए। वहीं कंपनी की ओर से इसके उलट में जवाब देते हुए कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देना समानता के नियम के विरुद्ध है। क्योंकि अगर नियम को सही तरीके से माना जा रहा है तो बहन अपने भाई की मौत के बाद किसी भी नौकरी की हकदार नहीं होती है। नियम के मुताबिक अगर किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हो जाती है तो उसकी नौकरी परिवार के किसी सदस्य को ट्रांसफर कर दी जाती है।