बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नए चेहरों को सीएम बनाकर एक बार फिर सभी को हैरान किया है। जिन नामों की चर्चा सबसे ज्यादा मीडिया में हो रही थी, उनमें से किसी को भी सीएम नहीं बनाया गया। अब बीजेपी की अपनी एक रणनीति बताई जा रही है, नई लीडरशिप खड़ी करने की भी बात हो रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद बता दिया है कि आखिर इन तीन चेहरों को ही मौका क्यों दिया गया। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पीएम ने इस बारे में विस्तार से बात की है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि मीडिया का सिर्फ कुछ परिवारों पर ही फोकस रहता है। इसी वजह से नए लोगों की प्रतिभा या उनकी भूमिका के बारे में किसी को पता नहीं चलता। इसी वजह से कहा जाता है कि नए चेहरे को मौका दे दिया, ये तो नए हैं। सच्चाई तो ये है कि वो नए नहीं है, बल्कि उनकी अपनी एक लंबी तपस्या रही है. अनुभव हैं उनका। ये नहीं भूलना चाहिए कि बीजेपी तो एक काडर आधारित पार्टी है जहां पर कोई भी कार्यकर्ता मेहनत कर कितना भी आगे जा सकता है। लेकिन फिर भी उनके अंदर का कार्यकर्ता हमेशा जीवित रहता है।
जानकारी के लिए बता दें कि बीजेपी ने इस बार हिंदी पट्टी वाले तीनों राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाई है। तीनों ही राज्यों में पूर्ण बहुमत मिला है और कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। अब बीजेपी ने तीनों ही राज्यों में नई लीडरशिप को ध्यान में रखते हुए ऐसे चेहरों को मौका दिया है जो आगे चलकर राज्य की सियासत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उदाहरण के लिए एमपी में बीजेपी ने इस बार दक्षिण उज्जैन से विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है। मोहन यादव 2013 में पहली बार विधायक बने थे, उज्जैन महाकाल वाले इलाके में उनकी सक्रियता सबसे ज्यादा रहती है। संघ से उनकी नजदीकी ने भी उन्हें सीएम रेस में आगे रखा। इसके ऊपर उनके ओबीसी चेहरे ने भी पार्टी समीकरण साधने में मदद की। इसी तरह राजस्थान में भजनलाल शर्मा को चुनने की वजह ये रही कि वे एक ब्राह्मण चेहरा हैं और संगठन पर उनकी पकड़ मजबूत रही है। छत्तीसगढ़ में पार्टी ने इसी तरह विष्णुदेव साय को मौका देकर बता दिया है कि आदिवासी समुदाय को भी फोकस में रखा जाएगा।