सर्वेश कुमार
देश में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों पूरा करने के लिए सरकार ने ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस में हिस्सेदारी को बढ़ाने का फैसला लिया है। 2030 तक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6.7 फीसद से बढ़ाकर दोगुना से भी अधिक यानी 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए राष्ट्रीय गैस ग्रिड के दायरे में 10,860 किलोमीटर के विस्तार पर काम चल रहा है।
शहरी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क विस्तार के लिए न्यूनतम कार्य योजना के तहत करीब 12.50 करोड़ पीएनजी कनेक्शन और साल के अंत तक 17,751 सीएनजी स्टेशनों की स्थापना के लिए कार्य प्रगित पर है। इससे मौजूदा क्षमता 4.77 करोड़ मीट्रिक टन से बढ़कर सालाना 6.67 हो जाएगी।
फिलहाल प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 20 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।
2020-21 में 28.7 अरब घन मीटर (बीसीएम) से बढ़कर 2022-23 में 34.45 बीसीएम हो गई है। घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति को अधिसूचित किया है। फरवरी 2019 रियायती रायल्टी के प्रावधानों में भी ढील दी गई थी। इसके तहत श्रेणी-दो और तीन की कुछ नदी घाटियों में प्राकृतिक गैस के विपणन और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता से राजस्व में हिस्सेदारी में कमी आई है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री ने सदन को यह जानकारी दी।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजंसी (आइआइए) की ओर से प्रकाशित इंडिया एनर्जी आउटलुक 2021 के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और कच्चे तेल का उपभोक्ता है। शहरीकरण, परिवहन की जरूरतें, बुनियादी ढांचा विकास, बढ़ती आय, जीवनयापन के लिए बेहतर मानक और ऊर्जा की खपत में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा में सुधार के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है। इसका उद्देश्य तेल और गैसों के घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसके लिए जैव र्इंधन, इलेक्ट्रिक वाहनों समेत दूसरे विकल्पों को बढ़ावा देना है।