मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के एएसआई सर्वे को इलाहाबाद हाईकोर्ट मंजूरी दे चुका है। हाईकोर्ट ने उस याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसमें शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण के लिए अदालत की निगरानी में एक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग की गई थी। हाईकोर्ट को अब यह तय करना है कि सर्वे का काम कब से शुरू किया जाएगा। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में आज यानी 18 दिसंबर को सुनवाई होनी है। इसमें सर्वे की तारीख से लेकर एडवोकेट कमिश्नर के नाम और सर्वे के काम को कितने समय में पूरा किया जाएगा, यह तय किया जा सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में ‘भगवान श्री कृष्ण विराजमान’ और 7 अन्य लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से यह याचिका दायर की गई है। याचिका में मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे कराने की मांग की गई है। विष्णु जैन ने कहा कि 1669 में औरंगजेब ने आदेश दिया था कि हिंदू मंदिरों को तोड़ दिया जाए। यहां हिंदू मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से ज्ञानवापी में कई तथ्य सामने आएं तो वैसी ही मथुरा में एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के बाद तथ्य सामने आएंगे।
बता दें कि इससे पहले अयोध्या मामले में एएसआई ने सर्वे किया था। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में इसका जिक्र भी किया गया। एएसआई की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रमुख आधार बना। वहीं ज्ञानवापी मामले में भी एएसआई ने सर्वे किया। इसकी रिपोर्ट मंगलवार को कोर्ट में पेश की जाएगी। वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी मस्जिद के सील वजूखाने वाले हिस्से को छोड़कर ASI के सर्वे का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है। जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।