Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में जिला जज के आदेश के बाद कराए गए ASI सर्वे के मामले में आज साइंटिफिक रिपोर्ट जिला अदालत में पेश की जा सकती है। सर्वे रिपोर्ट को पेश किए जाने को लेकर अब तक चार बार समय बढ़ाया जा चुका है। कोर्ट में सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से मांग की गई है कि सर्वे की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया जाए। दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जारी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 8 दिसंबर को अपना फैसला रिजर्व रखा लिया था। इसमें तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की कोर्ट में अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता को लेकर दाखिल की गई है।
बता दें कि कोर्ट में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 4 बार समय मांग चुकी है। पिछली सुनवाई में एएसआई के वकील ने अतिरिक्त समय की मांग की थी। वकील ने जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश से कहा था कि एएसआई के सुप्रीटेंडेंट अविनाश मोहंती कोर्ट में उपस्थित होकर रिपोर्ट दाखिल करने में असमर्थ हैं। इसके बाद कोर्ट ने 18 दिसंबर की तारीख तय की है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर श्रृंगार गौरी के दैनिक पूजा संबंधी याचिका पर अहम निर्णय हो सकता है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में एएसआई को सर्वे रिपोर्ट जमा करानी है।
वाराणसी कोर्ट ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। इस आदेश में 3 अगस्त तक जांच पूरी कर एएसआई को सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष के सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बाद सर्वे का काम रोकना पड़ा। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर सर्वे का काम शुरू किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सील किए गए वजूखाना क्षेत्र को छोड़कर परिसर के सर्वे का आदेश जारी कर दिया। सर्वे के काम में एएसआई के अलावा पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर के अलावा आईआईटी की भी मदद ली गई। सर्वे में आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया।