बीजेपी को एक मजबूत संगठन के तौर पर क्यों जाना जाता है, इस सवाल के कई जवाब दिए जा सकते हैं। लेकिन पार्टी के भीतर सबसे अहममजबूत पार्ट अनुशासन को कहा जाता है। ऐसा क्यों? इसका जवाब हम हाल ही में हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीएम के नाम चुनने को को लेकर लिए गए पार्टी के फैसलों से समझ सकते हैं, जहां कई दिग्गज नेताओं की जगह पार्टी ने नए नामों को प्राथिमिकता दी और किसी ने उफ तक नहीं कहा…यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी के संगठन की नकेल को किस तरह पकड़ा हुआ है।
ऐसा नहीं है कि संगठन में नेताओं की वफादारी का ऐसा मजबूत आधार बीजेपी ने अचानक तैयार कर लिया है। बल्कि ऐसा माना जाता है कि 2014 के बाद से ही पीएम मोदी और भाजपा ने पार्टी नेताओं का एक वफादार आधार बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। बीजेपी की यह रणनीति कामयाब में भी हुई पार्टी को इसका अलग-अलग तरह से फायदा भी हासिल हुआ है।
पिछले हफ्ते लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा हमारे प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर हमारी सरकार उन लोगों को घर मुहैया कराती है जो बेघर हैं। मुझे देखो, मैं एक ऐसे परिवार से हूं जिसके सिर पर छत नहीं थी। लेकिन यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने मेरे जैसे व्यक्ति को यहां खड़े होने और आवास परियोजना पर सवालों का जवाब देने का अवसर दिया। केंद्रीय मंत्री की इस टिप्पणी से समझा जा सकता है कि उनके नेताओं की उनके लिए किस तरह की वफादारी है।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने हाल ही में हुए कुछ आश्चर्यजनक फैसलों के पीछे आलाकमान की उस मंशा का जिक्र किया, जो यह चाहती है कि जिसे भी वह चुन रहे हैं वे इतने वफादार हो कि आरएसएस का उन पर नियंत्रण कम हो। माना जाता है कि पार्टी बहुत ज्यादा हंगामी नेता पर नहीं बल्कि चुपचाप रणनीति के तहत काम करते रहने वाले नेता पर ध्यान देती है।
प्रधानमंत्री मोदी संगठन के भीतर लोकतांत्रिक भावना को बढ़ावा देने की बात करते रहे हैं। भाजपा मुख्यालय में दिवाली मिलन कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम ने कहा था, “मेरा मानना है कि राजनीतिक दलों के भीतर सच्ची लोकतांत्रिक भावना का विकास न केवल देश के भविष्य के लिए बल्कि लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है।” लेकिन पीएम के इस बयान के विपरीत केंद्रीय नेतृत्व को राज्यों की सरकारों की शक्ति भी अपने हाथ में लेने जैसी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।