देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत दर्ज की है। लेकिन सत्ताधारी दल के लिए तेलंगाना में कांग्रेस का आना एक चुनौती की तरह है। जहां कांग्रेस ने कर्नाटक के बाद तेलंगाना में जीत को लेकर दक्षिण में अपना आधार बढ़ाया है वहीं बीजेपी के लिए दक्षिण के द्वार बंद हो जाने की बात कही जा रही है। इस दौरान उत्तर-दक्षिण बंटवारे का मुद्दा भी काफी बढ़ता हुआ दिखाई दिया है, बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस देश को दो हिस्सों में बांटने की चर्चा को बढ़ा रही है। हालांकि दूसरी तरफ ‘काशी तमिल संगम’ जैसे कार्यक्रम के रास्ते बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण में अपनी ज़मीन भी तलाश रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को वाराणसी के ‘नमो घाट’ पर काशी तमिल संगमम के दूसरे एडिशन का उद्घाटन किया है। यह सांस्कृतिक महोत्सव 17 से 30 दिसंबर तक चलेगा। इसकी शुरुआत नवंबर 2022 हुई थी। खासतौर पर इसका आयोजन दक्षिण और उत्तर में बेहतर संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से किया जाता है। पिछली बार भी तमिलनाडु से बड़ी तादाद में लोग अयोध्या पहुंचे थे और इस बार भीतमिल प्रतिनिधिमंडल का पहला बैच जिसमें तमिलनाडु के छात्रों का एक ग्रुप है 15 दिवसीय संगमम में भाग लेने के लिए रविवार को वाराणसी पहुंचा है।
अब अगर राजनीतिक नजर से हम इसपर ध्यान देंगे तो समझ आएगा कि भाजपा का दक्षिण से बनने के बाद से ही बहुत ज़्यादा संबंध नहीं रहा, ना दक्षिण के आंदोलनों से किसी तरह का खास जुड़ाव रहा। अब यह प्रयास है कि दक्षिण से एक बेहतर संबंध स्थापित किया जा सके। बीजेपी नेताओं का मानना है कि पिछले साल संगमम को तमिलनाडु के हिंदुओं ने बहुत अच्छा रेस्पोंस दिया था। हालांकि यह पहल भारत सरकार की है लेकिन ऐसा माना जाता रहा है कि बीजेपी इसे एक पुल के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। एक नेता इस ओर इशारा करते हुए कहा, “यह सब भाजपा की विचारधारा के बारे में गलतफहमी को दूर करने के लिए किया जा रहा है।”