Dharavi Redevelopment Project: महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों धारावी पुनर्विकास परियोजना के मुद्दे पर गरमाई हुई है। धारावी पुनर्विकास परियोजना को गौतम अडानी ग्रुप की कंपनी को सौंपने के बाद विपक्षी दल एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के एक दिन बाद, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ‘विकास विरोधी’ होने के लिए शिवसेना (यूबीटी) की आलोचना की।
शिंदे ने 2020 में धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन की सफल बोली को रद्द करने के पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार के फैसले के पीछे एक मकसद के रूप में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कंपनी के साथ उनका सौदा टूट गया होगा।
सीएम शिंदे शनिवार को धारावी में टी-जंक्शन से बांद्रा में अडानी रियल्टी के मुख्यालय तक शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ और एनसीपी मुंबई प्रमुख राखी जाधव के नेतृत्व में मार्च के दौरान लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे थे।
शिवसेना (यूबीटी) ने शनिवार को धारावी में अडानी के खिलाफ महामोर्चा निकाला था। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उद्योगपति गौतम अडानी पर आरोप लगाया था कि धारावी पुनर्विकास परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा टीडीआर (विकास के लिए भूमि अधिग्रहण) घोटाला है। इसमें 100 करोड़ से ज्यादा की अनियमितताएं हुई हैं। धारावी में सात लाख से अधिक लोग रहते हैं, जबकि सर्वे में सिर्फ 95,000 लोगों को पात्र घोषित किया गया है। यह लोगों को बेघर करने की साजिश है। वहीं अडानी रियल्टी ने विपक्ष के सभी आरोपों का खंडन किया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में आरोप लगाया कि ‘मोदानी महाघोटाले’ की अनोखी विशेषता सिर्फ यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘करीबी मित्रों’ को लाखों करोड़ रुपये का लाभ पहुंचा रहे हैं और ‘मोदी-मेड मोनोपॉली’ (3एम) स्थापित कर रहे हैं, बल्कि यह भी है कि ये पैसा सीधे आम भारतीयों की जेब से आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम पहले से ही जानते हैं कि लाखों बिजली उपभोक्ता अधिक बिल वाले कोयले के आयात की बढ़ी हुई लागत वहन कर रहे हैं और मध्यम वर्ग के यात्रियों को ‘मोदानी’ द्वारा बढ़ाए गए हवाई अड्डा शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है।’
जयराम रमेश ने कहा कि अब यह और भी स्पष्ट हो गया है कि धारावी पुनर्विकास परियोजना के असली लाभार्थी मुंबई या धारावी के लोग नहीं हैं, बल्कि ‘प्रधानमंत्री के सबसे करीबी मित्र हैं, जिन्हें देवेंद्र फडणवीस का सहयोग और समर्थन प्राप्त है।