लोकसभा चुनाव से पहले और पांच विधानसभा चुनावों के बाद 19 दिसंबर को होने जा रही इंडिया गठबंधन की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जहां एक तरफ बीजेपी पूरे देश में ‘गारंटी यात्रा’ की तैयारी में जुटी है वहीं विपक्षी दल भी अब काफी सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आम चुनावों के तहत होने वाले अभियान की रूपरेखा से पहले विपक्षी दल मंगलवार की बैठक में सीट-बंटवारे पर खास चर्चा कर सकते हैं। विपक्षी दलों के नेता 31 दिसंबर से पहले सीट बंटवारे के समझौते पर जोर दे रहे हैं। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल इस मुश्किल फैसले से किस तरह पार पाते हैं।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद अब विपक्षी दलों के सामने यह एक अहम चुनौती है कि वह सत्ताधारी दल के सामने एक ऐसा एजेंडा खड़ा करे कि जिसपर तमाम विपक्षी दल एकजुट हों। इंडिया गठबंधन के सामने एक चुनौती यह भी है कि विपक्षी गठबंधन का एक संयोजक, एक प्रवक्ता और एक एजेंडा हो ताकि आपसी मतभेद की अटकलें खत्म हों और गठबंधन मजबूत दिखाई दे।
सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी और DMK जैसी कुछ पार्टियां कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे को आखिरी रूप दे सकती हैं। ऐसी अटकलें हैं कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को आठ सीटें देने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस उत्तर प्रदेश में और ज्यादा सीट चाहती है।
हालांकि पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल और दिल्ली में सीटों का बंटवारा आसान नहीं दिखाई देता है। जातिगत सर्वे जैसे मुद्दों से हटकर भी गठबंधन के नेता चाहते हैं कि कुछ नए मुद्दों पर बीजेपी को घेरने का प्लान बनाया जाए।
इससे पहले तमाम विपक्षी दलों की एक साथ होने वाली रैलियों पर भी कई तरह की खबरें सामने आई थीं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि 19 दिसंबर को होने जा रही संयुक्त बैठक में विपक्ष इसपर भी फैसला ले सकता है। क्योंकि अक्टूबर में भोपाल में होने वाली आखिरी रैलियों को रद्द करना पड़ा था। कांग्रेस का कहना है कि वह गठबंधन को और ज्यादा मजबूत करने की ओर ध्यान देना चाहते हैं ताकि बीजेपी को 2024 में हराया जा सके।