2012 में 16 दिसंबर की रात सामूहिक बलात्कार कांड में अपनी 23 वर्षीय बेटी को खोने के 11 साल बाद पिता ने शुक्रवार को कहा, राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के मामले में कुछ भी नहीं बदला है। आज ही के दिन 2012 में, भारत उस भयावह खबर से जाग उठा कि पांच युवकों और एक किशोर ने दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में पैरामेडिकल छात्रा और उसके ब्वॉय फ्रेंड के साथ जोरजबरदस्ती की, जिससे पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और पूरी दुनिया सदमे में आ गई।
पीड़िता के पिता ने कहा, “2014 के बाद से कई चीजें बदल गई हैं…कल्याण में सुधार हुआ है। अनेक वंचितों को लाभ हुआ है। हम यह भी कह सकते हैं कि एक तरह से सामाजिक और धार्मिक क्रांति हुई है…हालांकि, 2012 के बाद जो नहीं बदला है, वह है महिला सुरक्षा। हमारे देश में महिलाएं अभी भी बेहद असुरक्षित हैं।”
उनके अनुसार दो मुख्य मुद्दे थे- पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करना या सबूत सही ढंग से पेश नहीं करना और “अमीर अपराधियों” द्वारा आम तौर पर निजी वकीलों को काम पर रखना, जिनके सामने राज्य के वकील कभी-कभी “कोई मुकाबला नहीं” करते थे।
उन्होंने कहा, “अगर इस देश में किसी की बेटी या पत्नी के साथ कुछ होता है, तो उनके पास मदद के लिए जाने के लिए वास्तव में कोई जगह नहीं है।” यह टिप्पणियां इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी आंकड़ों के मद्देनजर आई हैं, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि का खुलासा किया गया है, जिसमें दिल्ली को उनके लिए सबसे असुरक्षित शहरों में से एक बताया गया है।
आंकड़ों के अनुसार, 2022 में महिलाओं के खिलाफ 14,158 से अधिक अपराध दर्ज किए गए, जो 2021 में दर्ज किए गए 13,982 से अधिक है। 2020 में, यह आंकड़ा 9,782 आंका गया, जो उस वर्ष अन्य महानगरीय शहरों में सबसे अधिक है। महिलाओं के खिलाफ 141,58 अपराधों के ब्रेकअप से पता चला कि 2022 में अपहरण/अगवा के 3,909 मामले और बलात्कार की 1,204 घटनाएं दर्ज की गई थीं।