पंकज रोहिला
महिलाओं के लिए बनी योजनाएं राज्य सरकारों द्वारा प्रभावी तौर लागू नहीं हुई हैं। निर्भया कांड से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने ये योजनाएं तैयार की थीं और इनका मकसद राज्यों को महिलाओं के लिए अधिक से अधिक सुरक्षित बनाना था। केंद्र सरकार ने संसद में रिपोर्ट दी है कि इन योजनाओं के लिए जो धनराशि आबंटित की गई है, उसमें से 70 फीसद धनराशि ही खर्च हो पाई है। अब तक जो योजनाएं तैयार की गई हैं, उन योजनाओं का तीस फीसद तक पैसा इस्तेमाल नहीं हुआ है।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि निर्भया फंड बनने के बाद से लगातार राज्य सरकारों को विभिन्न योजनाओं के लिए धनराशि उपलब्ध कराई है। फंड की धनराशि को सही प्रकार से इस्तेमाल किया जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति का भी गठन किया है। रिपोर्ट बताती है कि इस मद से आज तक कुल 7212.85 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। इस धनराशि में से कुल 5118.91 करोड़ रुपए का आबंटन विभिन्न सरकारी एजंसियों को किया गया है जो कि कुल धनराशि का 70 फीसद है। इस मद का 30 फीसद पैसा इस्तेमाल नहीं हुआ है।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि इस फंड के तहत दी जाने वाली धनराशि का इस्तेमाल सही प्रकार से किया जा सके, इसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है। इसी के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को इस मद से धनराशि जारी की जाती है। धनराशि का उपयोग न हो पाने की सबसे बड़ी वजह कोरोना का संक्रमण काल रहा है।अब संबंधित समिति के माध्यम से चल रही परियोजनाओं को पूरा करने काम किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस फंड से सबसे अधिक काम आपात स्थिति में तंत्र को तैयार करने के लिए किया गया है। राज्यों में 364.03 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की है। जबकि सुरक्षित शहर योजना में अहमदाबाद, बंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई में योजनाओं को लागू किया गया है। इस मद में 1434.58 करोड़ की धनराशि को खर्च किया गया है।
इस फंड में महिला व बच्चों संबंधित साइबर अपराधों से बचने के लिए योजना, पुलिस द्वारा जिलों में परामर्शदाता, सीएफएसएल चंडीगढ़ की विशेष लैब, इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों के लिए डीएनए और फारेंसिक सेवाओं को दुरुस्त बनाने के लिए योजनाएं शामिल हैं। ये योजनाएं दिल्ली, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड ओर अरुणाचल प्रदेश समेत अनय प्रमुख शहरों में लागू हुई हुई हैं।
निर्भया फंड से संबंधित योजनाओं में केवल गृह मंत्रालय ही नहीं, बल्कि चार अन्य मंत्रालय जैसे रेल, सूचना प्रौद्योगिकी, न्याय विभाग, पर्यटन विभाग और सड़क और परिवहन मंत्रालय शामिल हैं। परिवहन मंत्रालय ने महिला सुरक्षा के लिए वाहनों को ट्रेक करने वाले सिस्टम लागू किए हैं और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को भी मजबूत करने की दिशा में काम किया गया है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यटन क्षेत्र, रेलवे में वीडियो निगरानी प्रणाली और देश भर में दस हजार से अधिक पुलिस थानों में महिला डेस्क की व्यवस्था को लागू करने का दावा किया है।
निर्भया कांड 11 साल पहले हुआ था और 16 दिसंबर को इस कांड की बरसी होगी। इस घटना में 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के मुनिरिका इलाके में एक सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड का यह मामला हुआ था। इस हत्याकांड के बाद जनाक्रोश और भावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी और इसके आधार पर महिलाओं के लिए विभिन्न क्षेत्र में किए जाने वाले कार्य चिहिन्त किए थे और एक विशेष फंंड भी बनाया गया। इस फंड के माध्यम से राज्यों में उन कार्य को प्राथमिकता दी गई थी, जिनमें महिलाओं के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। 30 दिसंबर 2012 को निर्भया का अंतिम संस्कार कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच किया गया था।