विपक्षी कोरस गाते रहे कि भाजपा अब गई कि अब गई। अब तो चौबीस में भी गई। समझिए, जनता नाराज है। उसी जनता ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में विपक्ष को ऐसा धोबीपाट मारा कि चुनाव परिणाम के बाद सन्नाटा पसरा रहा। जब विपक्ष का कंठ फूटा तो तीन राज्यों में हार स्वीकार करने की जगह तेलंगाना की जीत पर इतराता रहा।
जो ‘प्रवक्ता’ और ‘छद्म प्रवक्ता’, राजनीति विश्लेषक कल तक ‘मोदी गया मोदी गया’ कहते न थकते थे- एंकरों के कोंचने पर भी बड़ी मुश्किल से कहते दिखे कि बधाई, लेकिन। इतने में एक महाज्ञानी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘दक्षिण कांग्रेस’ ‘दक्षिण कांग्रेस’। इशारा काफी था, सो समूहगान गूंजने लगा : ‘दक्षिण बरक्स उत्तर’ ‘दक्षिण बरक्स उत्तर’।
एक एंकर ने रूपक मारा : ये है ‘नार्थ वेस्टर्न मानसून’ यानी वही उत्तर बरक्स दक्षिण। एक सत्ता प्रवक्ता कहिन कि ये ‘सनातन’ को तोड़ने की बात करते हैं, जाति को लाते हैं। ये परिणाम उसी का जवाब है, ये मोदी के प्रति ‘पब्लिक ट्रस्ट’ है। मोदी आज ‘ग्लोबल ब्रांड’ हैं। इसके आगे ‘मामा’ समेत भाजपा भक्तों की तुकबंदियां थीं, जैसे ‘मध्यप्रदेश के मन में मोदी, मोदी के मन में मध्य प्रदेश’, कि ‘छत्तीसगढ़ हो गया मोदीगढ़’, ‘राजस्थान हो गया मोदीस्थान’, ‘एक अकेला सब पर भारी’। इस सब पर फिर मामा छाप काव्योक्ति कि ‘मोदी भारत के मुकुटमणि मोदी भारत के हृदय हार’। और फिर आया ‘ये दिल मांगे मोर, मोदी वंस मोर।’
एक चैनल पर अंग्रेजी लेखक चेतन भगत कहिन कि ‘मोदी ब्रांड’ अब भी चल रहा है, लेकिन मुहब्बत की दुकान में मिल क्या रहा है? उसके बाद भाजपा के मुख्यालय में विजयोल्लास से भरे ‘मोदीमय’ दृश्य थे। मंच के विशाल परदे की दो काव्य पंक्तियां कहती थीं : ‘सपने नहीं हकीकत बुनते हैं। तभी तो लोग मोदी को चुनते हैं’।
भाजपा कार्यकर्ताओं का नारा था : मोदी की गारंटी है, गारंटी है भाई गारंटी है। और मोदी का संबोधन था- जिसकी पहली लाइन ही थी कि ‘भारत माता की जय… ये आवाज तेलंगाना तक पहुंचे।’ यह ‘दक्षिण दक्षिण’ करने वालों को सांकेतिक जबाव था। यहां भी मोदी ने स्वयं गारंटी दी कि ‘मोदी की गारंटी है, गारंटी की गारंटी है’। यह ‘संकल्प युग’ से आगे सीधे ‘गारंटी युग’ में आना है। विपक्ष की तो ‘वारंटी’ तक नहीं नजर आती!
मोदी की जीत पर ‘ग्लोबल मीडिया’ जैसे एएफपी, रायटर, ब्लूमबर्ग आदि सभी गदगद। न्यूयार्क टाइम्स की टिप्पणी कि इन परिणामों से मोदी को फायदा। राममंदिर से मोदी का आधार मजबूत होगा। पाक मीडिया ने कहा, पीएम हो तो मोदी जैसा! लेकिन मोदी हैं कि मानते ही नहीं। संसद भवन की दहलीज से ही विपक्ष के जले पर प्यार से नमक छिड़कते हुए कह दिया कि ‘हार का बदला संसद में न निकालें।’ हाल में मौजूद भाजपा सदस्य जीत के जोश में देर तक ‘मोदी मोदी’ के नारे लगाते रहे। स्पीकर के जरिए एक एंकर ने स्पष्ट किया कि अब सदन में पोस्टर आदि दिखाना मना है। हाय रे मेरे प्यारे विपक्ष! अब तो तेरी ‘पोस्टर कला’ की तारीफ से भी गए अपन!
फिर भी, चुनाव परिणामों के चैनल विश्लेषण ‘जातिवाद बरक्स हिंदुत्व’ और ‘उत्तर बरक्स दक्षिण’ में ही उलझे रहे। कुछ एंकर चुनावों को अर्थाते रहे कि ‘न जाति गणना चली न मुहब्बत की दुकान चली, चली तो मोदी की गारंटी चली।’ कोढ़ में खाज कि मिजोरम में भी भाजपा की दो सीट। कुछ एंकर और चर्चक भी विपक्ष के घाव पर नमक मलते रहे और पूछते रहे कि अब तेरा क्या होगा ‘इंडी गठबंधन’ और चैनल लाइन लगाते रहे कि गठबंधन की बैठक में आने से तीन दलों की ना और बैठक स्थगित।
एक गठबंधिया कहिन : उनको उनके दंभ ने हराया। दूसरा : अगर यही रहा तो हम बच नहीं पाएंगे। तीसरा : अब कांग्रेस ‘बिग ब्रदर’ नहीं। चौथा : मोदी के प्रति अंधी नफरत ने हराया। पांचवां : सनातन विरोध ले डूबा। अब ये ‘दक्षिण उत्तर’ डुबा देगा। इसके बाद शुरू हुई दक्षिणी अंग्रेजी की नई ‘नर्सरी राइम’ कि ‘दक्षिण सेकूलर’, ‘उत्तर कम्यूनल’!
इसके आगे आई संसद में ‘उत्तर भारत’ के प्रति ‘दक्षिण’ के एक नेता की टिप्पणी कि भाजपा ‘गोमूत्र राज्यों’ में ही जीतती है। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता की सोशल मीडिया पर टिप्पणी कि ‘गोमूत्र’ कहने वाले तुरत माफी मांगें। जब हर चैनल पर उन सांसद व उनके दल की जमकर धुलाई हुई तो उनके नेता ने उनसे ‘सारी’ कहने को कहा और तब जाकर मामला ‘सारी’ हुआ।
लेकिन फिर कथित मुहब्बत की दुकान से ‘नस्ली नफरत’ बरसी। तेलंगाना फतह के एक हीरो जोश में कह उठे कि मेरा ‘डीएनए’ तेलंगाना। तेलंगाना ‘डीएनए’ बेहतर है बिहार के ‘डीएनए’ से।बहरहाल, कांग्रेस ने तो तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनवा भी दिया, लेकिन भाजपा दुविधा में ही फंसी रही! इसे कहते हैं, ‘अतिरिक्त का अत्याचार’, जितनी भारी जीत और उतनी भारी आफत! किस राज्य में किसको तिलक ताकि 2024 भी फतह!
जयुपर में करनी सेना के हीरो की दिन दहाड़े हत्या बताती रही कि कैसा सीएम चाहिए, फिर भी फैसला नहीं…!चलते चलते : ईथिक्स कमेटी की रपट पर संसद में बहस और मतदान के बाद महुआ मोइत्रा संसद से निष्कासित! महुआ का प्रतिवाद : मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं। यह कंगारू कोर्ट का फैसला है।