चंद्रयान-3 को लेकर एक बड़ी खबर आई है। अब चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल ने कमाल किया है। चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल ने अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और पृथ्वी की कक्षा में वापस लौट गया है।
इसरो ने बताया, “एक अनूठे प्रयोग के तहत चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहे चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल वापस धरती की कक्षा में लौट आया है।” इसरो ने इस सफलता के फायदे भी बताये हैं। इसरो ने बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल को मून से अर्थ की कक्षा में वापस लाने से आने वाले मिशन की योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। हालांकि इस मॉड्यूल के लिए सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है।
अर्थ के ऑब्जर्वेशन के लिए SHAPE पेलोड को जारी रखने के लिए प्रोपल्शन मॉड्यूल को पृथ्वी कक्षा में फिर से स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इस मिशन योजना को टकराव से बचने के लिए तैयार किया गया था। प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त होने या प्रवेश करने से रोकना भी लक्ष्य था। पृथ्वी की GEO बेल्ट 36,000 किमी पर है और उसके नीचे कक्षाएं हैं।
चंद्रयान -3 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र (South Pole) के पास सॉफ्ट लैंडिंग करना और विक्रम लैंडर और प्रज्ञान पर उपकरणों का उपयोग करके प्रयोग करना था। चंद्रयान को 14 जुलाई को LVM3-M4 से लॉन्च किया गया था। 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर अपनी ऐतिहासिक लैंडिंग की और उसके बाद प्रज्ञान रोवर को तैनात किया गया।
मौजूदा समय में प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। इसने 22 नवंबर को 1.54 लाख किमी की दूरी पर स्थित पहली पेरिजी (Periji) को पार कर लिया था। इसरो ने बताया कि इस कक्षा में रहने की अवधि 13 दिन की है।
बता दें कि चंद्रयान 3 के लॉन्च होने के कुछ दिन बाद ही इसके सामने बड़ा गड्ढा आ गया था। चंद्रमा की सतह पर घूम रहे रोवर प्रज्ञान अपने स्थान से आगे स्थित एक बड़े गड्ढे में आ गया था। हालांकि उसने इसे सुरक्षित रूप से पार कर लिया। रोवर प्रज्ञान ने फिर रास्ता बदल लिया था। 27 अगस्त को को रोवर अपने स्थान से 3 मीटर आगे 4 मीटर डायामीटर वाले गड्ढे में आ गया था। इसके बाद रोवर को रास्ते पर वापस लौटने का आदेश दिया गया था और फिर यह सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ा।