CJI DY Chandrachud: पंजाब में बीएसफ का अधिकार क्षेत्र 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर किए जाने के मामले में भगवंत मान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने इस दौरान केंद्र सरकार और पंजाब सरकार को राज्य के अंदर बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने का निर्देश दिया।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने पक्षों से चर्चा करने और मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा, “यह एक मुकदमा है। इसलिए आप दोनों के बीच मुद्दों का आदान-प्रदान किया जा सकता है। पार्टियां मुद्दों का आदान-प्रदान करेंगी, ताकि लिस्टिंग की अगली तारीख से पहले मुद्दों का निपटारा किया जा सके।”
कोर्ट बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाले पंजाब सरकार के 2021 के मुकदमे पर सुनवाई कर रही थी।
बता दें, केंद्र सरकार का निर्णय बीएसएफ को असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर के बड़े दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने की अनुमति देता है।
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विस्तारित क्षेत्राधिकार में स्थानीय पुलिस के साथ समवर्ती शक्तियां शामिल हैं और शक्तियां विशेष रूप से बीएसएफ के पास निहित नहीं होंगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पासपोर्ट संबंधी मुद्दे जैसे केवल कुछ अपराध ही साझा क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते हैं। मेहता ने यह भी बताया कि 2021 में मुकदमा दायर होने के बाद से स्थिति बदल गई है।
दूसरी ओर पंजाब सरकार के वकील शादान फरासत ने तर्क दिया कि पंजाब का दायरा छोटा और समानांतर क्षेत्राधिकार का अस्तित्व राज्य के अधिकार को कम करता है। जवाब में, मेहता ने स्पष्ट किया कि चुनौती के तहत अधिसूचना में सभी संज्ञेय अपराध शामिल नहीं हैं। हालांकि, फरासत ने तर्क दिया कि विस्तारित क्षेत्राधिकार पंजाब को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, विशेष रूप से मुख्य कानून और व्यवस्था के क्षेत्र में।
मेहता ने दोहराया कि स्थानीय पुलिस का अधिकार क्षेत्र छीना नहीं गया है, बल्कि समवर्ती क्षेत्राधिकार है। कोर्ट ने कहा कि पंजाब पुलिस से जांच की शक्ति नहीं छीनी गई है; इसके बजाय यह बीएसएफ के साथ समवर्ती है। इसके बाद सुप्रीम ने केंद्र और राज्य को मुकदमे की लिस्टिंग की अगली तारीख से पहले इस मुद्दे को हल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पंजाब के एडवोकेट जनरल (एजी) को भी पक्षों की बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया।