COP28 Summit UAE: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2028 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP33) की मेजबानी भारत में करने का प्रस्ताव रखा। इस दौरान उन्होंने लोगों की भागीदारी के माध्यम से ‘कार्बन सिंक’ बनाने पर केंद्रित ‘ग्रीन क्रेडिट’ पहल की शुरुआत की। मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त अरब अमीरात में COP28 शिखर सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान कहा, “भारत जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र ढांचे के लिए प्रतिबद्ध है। इसीलिए मैं इस मंच से प्रस्ताव पेश करता हूं कि 2028 में COP33 शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाए।”
मोदी COP28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष साइमन स्टिल के साथ उद्घाटन पूर्ण सत्र में शामिल होने वाले एकमात्र नेता थे। उन्होंने कहा कि भारत ने विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाकर दुनिया के सामने एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।
प्रधानमंत्री ने दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान राष्ट्रों और सरकारों के प्रमुखों के एक उच्च स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “भारत ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच एक अच्छा संतुलन बनाकर दुनिया के सामने विकास का एक मॉडल पेश किया है।”
भारत की सराहना करते हुए मोदी ने कहा, ‘भारत ने उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्यों को अपनी प्रतिबद्ध समय सीमा से 11 साल पहले हासिल कर लिया है और अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर है। मोदी ने कहा कि “भारत ने जून 2030 तक उत्सर्जन की तीव्रता को 45% तक कम करने और गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी को 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।’
उन्होंने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए विकसित देशों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने का भी आह्वान किया। मोदी ने पहले विकासशील देशों को अपेक्षित जलवायु वित्तपोषण और तकनीकी हस्तांतरण सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि उन्होंने जलवायु समस्या पैदा करने में योगदान नहीं दिया है, लेकिन फिर भी समाधान का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं।
दुबई में मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात स्थित अलेतिहाद को एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने हमेशा कहा है कि जलवायु परिवर्तन एक सामूहिक चुनौती है जो एकीकृत वैश्विक प्रतिक्रिया की मांग करती है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जलवायु कार्रवाई पर बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप जलवायु वित्त पर प्रगति दिखनी चाहिए।