उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में समाजावादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की अध्यक्षता वाले मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल की इमारतों को सील किए जाने के बाद यहां पढ़ने वाली छात्राओं के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है। एक दुकान के मालिक मोहम्मद फैसल (42) का कहना है कि उनकी इकलौती बेटी फातिमा नूर को पिछले कुछ दिनों से घबराहट के दौरे पड़ रहे हैं। आठवीं कक्षा की छात्रा, नूर तोपखाना रोड पर रामपुर पब्लिक स्कूल (गर्ल्स विंग) में पढ़ती थी। 10 नवंबर को नियमों के कथित उल्लंघन के लिए इसकी इमारत को सील कर दिया गया था। स्कूल में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक 632 लड़कियां पढ़ती थीं।
फैसल ने कहा, “मेरी बेटी पढ़ने में काफी तेज और मेधावी छात्रा है – वह सभी परीक्षाओं में पहले या दूसरे स्थान पर रही। जब से स्कूल सील हुआ है, तब से वह घबराई हुई है। हम उसे डॉक्टर के पास ले गए, लेकिन वह नए स्कूल में जाने की सूचना से खुद का मन नहीं बना पा रही है।”
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने वाली कुल 632 छात्राओं का भविष्य फिलहाल अनिश्चित बना हुआ है, हालांकि शिक्षा विभाग और रामपुर प्रशासन ने 28 स्कूलों की एक सूची जारी की है, जहां ये छात्राएं प्रवेश ले सकती हैं। नए स्कूलों में प्रवेश के संबंध में अब तक केवल 10 अभिभावकों ने ही प्रशासन को पत्र लिखा है और उनका भी कहना है कि वे अगले शैक्षणिक सत्र से अपनी बेटियों को प्रवेश देंगे।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 31 अक्टूबर को मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे पर दी गई 41,000 वर्ग फुट से अधिक भूमि का स्वामित्व वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी और इसे राज्य के माध्यमिक शिक्षा विभाग को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था।
हालांकि, अभिभावकों ने सवाल उठाया कि सत्र के बीच में स्कूल को सील क्यों करना पड़ा। उज्मा जीशान (35), जिनकी बेटी सामिया कक्षा 6 में पढ़ती है, ने कहा, “बच्चों के माता-पिता ने रामपुर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिले, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। स्कूल 10 नवंबर को सील कर दिया गया था। सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है, लेकिन हकीकत कुछ और है। रामपुर पब्लिक स्कूल सीबीएसई बोर्ड के तहत चल रहा था। अब वे कह रहे हैं कि हमें दूसरे स्कूलों में प्रवेश मिल सकता है। उन्होंने स्कूलों की एक लिस्ट और हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, लेकिन हम इन निजी स्कूलों का प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क का का खर्च कैसे उठाएंगे?”
स्कूल की शुरुआत 2016 में जौहर ट्रस्ट ने की थी, जो रामपुर में मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय भी चलाता है। इसमें 20 शिक्षकों सहित 28 स्टाफ सदस्य काम करता था। उन्होंने कहा, उज्मा की बेटी ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्रों को स्कूल से मिली रियायत के तहत आधी फीस – 700 रुपये प्रति माह – पर पढ़ाई की। उज्मा अपने परिवार का खर्च कबाड़ बेचने वाले अपने पति की मामूली कमाई से चलाती हैं। स्कूल के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 60 छात्राएं सब्सिडी का लाभ उठाती हैं।
रामपुर शहर में ठेले पर फल बेचने वाले इब्राहिम की पत्नी सीमा रानी (35) ने बताया कि उनकी बेटी रुबिया इब्राहिम शम्सी कक्षा 7 की छात्रा है। उन्होंने बताया, “प्रशासन को कम से कम स्कूल भवन को सील करने से पहले इस सत्र को समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए था।” बच्ची का शुक्रवार से टेस्ट शुरू होगा। मैं उसे समझाने की कोशिश कर रही हूं, लेकिन वह चिंतित है।”
प्रिंसिपल अजरा नाज़ खान ने कहा कि स्कूल को एक अस्थायी भवन में शिफ्ट कर दिया गया है, और दिवाली की छुट्टियों के बाद गुरुवार और शुक्रवार को कक्षाएं आयोजित की गईं। खान ने कहा, “हमने एक अन्य इमारत में कक्षाएं चलाना शुरू कर दिया है। यह सील की गई इमारत से लगभग एक किलोमीटर दूर है। अभी पूरी तरह अराजकता है। हमें नहीं पता कि हमारे स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा। अभी के लिए हम व्यवस्था कर रहे हैं। प्रशासन कह रहा है कि वे अन्य स्कूलों में प्रवेश ले सकते हैं, लेकिन सभी निजी स्कूल भारी फीस लेते हैं।”