इजरायल और हमास के बीच जारी जंग अब एक महीने से भी ज्यादा लंबी हो चली है। हालात जमीन पर अभी भी विस्फोटक ही बने हुए हैं। इसके ऊपर अस्पतालों पर जिस तरह से गाजा में हमले हुए हैं, उसने तो स्थिति को ज्यादा खराब करने का काम किया है। इस बीच यूएन में इसी युद्ध को लेकर एक अहम वोटिंग हुई है, उस वोटिंग में भी भारत ने पहली बार इजरायल नहीं फिलिस्तीन का साथ दिया है। इस बदली हुए स्टैंड का एक बड़ा कारण सामने आया है।
जानकारी के लिए बता दें कि इजरायल द्वारा इस समय फिलिस्तीन के कई इलाकों पर कब्जा किया जा रहा है। येरूशलम में कुछ इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश हुई है। अब इजरायल के इसी आक्रमण के खिलाफ यूएन के कई देशों ने वोटिंग की है। कुल 145 देशों ने एक सुर में इस प्रकार की कार्रवाई का विरोध किया है, यानी कि इन सभी देशों ने समर्थन में अपना वोट दिया है। बड़ी बात ये है कि इस बार भारत ने भी खुलकर वोटिंग की है और सीधे-सीधे फिलिस्तीन को अपना समर्थन दिया है।
वैसे सात ऐसे देश भी रहे जिन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला, यानी कि वे अभी भी मजबूती के साथ इजरायल के साथ खड़े हैं। 18 ऐसे देश भी सामने आए जिन्होंने इस वोटिंग प्रक्रिया में ही हिस्सा नहीं लिया। यहां ये समझना जरूरी है कि ऐसे मौकों पर ज्यादातर भारत ने खुद को वोटिंग से दूर ही रखा है, न्यूट्रल स्टैंड पर चलना ही नीति रही है। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने पहले खुलकर इजरायल का समर्थन कर सभी को हैरान कर दिया था, अब अचानक से एक मुद्दे पर फिलिस्तीन का समर्थन कर फिर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है।
अब भारत ने क्योंकि समर्थन में अपना वोट डाला है, ऐसे में विपक्षी कुनबा भी कुछ खुश नजर आ रहा है। टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने उस प्रस्ताव की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि भारत ने इस प्रस्ताव के पक्ष में अपना वोट डाला। यहां ये समझना जरूरी है कि विपक्ष शुरुआत से ही इस बात के खिलाफ रहा है कि मोदी सरकार ने कूटनीति में बड़ा बदलाव करते हुए इजरायल का समर्थन किया।
केरल के मुख्यमंत्री एन विजयन तो अभी भी केंद्र से नाराज चल रहे हैं और उनका खुला समर्थन फिलिस्तीन को जा रहा है। एक बयान में उन्होंने कहा है कि कृपया इजरायल का समर्थन करने की भाजपा की नीति को भारत के रुख के रूप में न गिनें। भारत को इजराइल के साथ सैन्य और रक्षा अनुबंध बंद करने की जरूरत है। इजराइल द्वारा भारत को फिलिस्तीन के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।