मणिपुर में स्थिति कई महीनों बाद भी नियंत्रण में नहीं आ पा रही है। कई जगह प्रदर्शन जारी है और पुलिस को भी बल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को इंफाल में सीएम ऑफिस के पास ही उग्र भीड़ ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। उनकी तरफ से ना सिर्फ एक पुलिस थाने का घेराव किया गया, बल्कि वहां पर हथियारों की मांग भी की गई।
असल में कई दिनों से पुलिस द्वारा बड़ी संख्या में हथियारों को जब्त किया गया है। अब उन्हीं हथियारों की डिमांड को लेकर भीड़ द्वारा प्रदर्शन किया गया। हालात को देखते हुए दो जिलो में कर्फ्यू से जो ढील भी दी गई थी, उसे वापस ले लिया गया है। बड़ी बात ये है कि भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिल को हवा में फायरिंग भी करनी पड़ी। उस फायरिंग की वजह से ही भीड़ तितर-बितर हुई और स्थिति को नियंत्रण में किया गया।
यहां ये समझना जरूरी है कि कुछ दिन पहले ही उग्र भीड़ ने मणिपुर में एक पुलिस अधिकारी की हत्या भी कर दी थी। उसके बाद घात लगाकर भी एक हमला हुआ जिसमें तीन अन्य पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गए। कई जिलों में इस समय ऐसी ही स्थिति बनी हुई है, पुलिस बल तैनात है, लेकिन फिर भी जमीन पर स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही। मणिपुर में मई महीने में जो हिंसा शुरू हुई थी, अभी तक उसमें 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
वैसे इस पूरे मामले की जड़ भी मणिपुर का वो विवाद है जो वैसे तो कई सालों से चला आ रहा है, पिछले कुछ महीनों ने इसने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है। असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।
हाल ही में हाई कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए। उसके बाद से राज्य की सियासत में तनाव है और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। ऐसे ही एक आदिवासी मार्च के दौरान बवाल हो गया और देखते ही देखते हिंसा भड़क गई।