भारत और कतर के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं, जब से आठ भारतीय पूर्व नौसेना के अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई है, भारत सरकार भी चिंतित है और कतर के साथ उसके रिश्ते भी कुछ तल्ख हो गए हैं। लेकिन यहां पर ये समझना जरूरी है कि कतर और भारत अच्छे दोस्त हैं, कई विवादों के बावजूद भी 50 सालों से दोनों ही देश के रिश्ते मजबूत और आपसी सहयोग वाले बने हुए हैं।
अब कतर की तरफ से 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा जरूर दी गई है, लेकिन असल में इस सजा को अमल में लाना उतना ही मुश्किल है। भारत के पास तो कई कानूनी विकल्प अभी खुले हुए हैं, अगर कतर अपने स्टैंड से झुकता नहीं है तो उसे स्थिति में इंडिया अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भी जा सकता है, यानी कि न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है। इस पूरे विवाद का एक दूसरा पहलू ये भी है कि कतर और भारत व्यापारिक तौर पर एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। अगर भारत को कतर की तरफ से गैस सप्लाई होती है तो वहीं दूसरी तरफ भारत भी भारी मात्रा में कतर में अपना अनाज भेजता है।
ये समझना भी जरूरी है कि कतर के लिए भारत की जरूरत ज्यादा है। कतर की जो अर्थव्यवस्था है उसमें भारतीयों का एक बड़ा योगदान है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि भारत सबसे ज्यादा मात्रा में कतर से गैस खरीदना है। अब वो गैस खरीद रहा है, इस वजह से वहां की अर्थव्यवस्था में भारी भरकम धनराशि जा रही है। लेकिन अगर इस नौसैनिक वाले विवाद की वजह से रिश्ते खराब हुए तो भारत कई तरह के सख्त कदम उठा सकता है। उन्हीं कदमों में से एक होगा कतर से गैस लेना बंद करना। असल में भारत तो एक ग्राहक के रूप में किसी दूसरे खाड़ी देश से भी अपनी गैस की आपूर्ति पूरी कर सकता है, लेकिन जो नुकसान कतर को होगा उसकी भरपाई शायद वो लंबे समय तक ना कर पाए।
इसके अलावा ये बात भी कम लोगों को पता है कि अगर भारत और कतर के रिश्ते बिगड़ते हैं तो उस स्थिति में कतर का जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, उस पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। भारत के कई श्रमिक कतर में ही मजदूरी करने के लिए जाते हैं, ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कतर में जो इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है, उसमें भारतीय मजदूर का एक बड़ा योगदान है। ऐसे में अगर रिश्ते खराब होते हैं तो भारत अपने नागरिकों को वापस बुला सकता है, उस स्थिति में कतर को एक और बड़ा झटका लगेगा।
वैसे यहां ये भी याद रखना चाहिए कि भारत अब कूटनीतिक फैसले लेने में हिचकता नहीं है। कनाडा के साथ जब रिश्ते खराब हुए तो तुरंत ही पहले वहां के राजदूत को बाहर का रास्ता दिखाया गया और उसके बाद कनाडा के नागरिकों के वीजा को भी बंद कर दिया गया। यानी कि समय की नजाकत को देखते हुए भारत सख्त कदम उठा सकता है।