मुंबई में इस साल सर्दियों की शुरुआत से बहुत पहले ही हवा की गुणवत्ता (Air Quality) में भारी गिरावट आई है। कचरा डंपिंग की निगरानी के लिए मार्शल, स्लम समूहों और सोसाइटियों में कचरा डंपिंग की सही व्यवस्था नहीं होने से यह समस्या बढ़ी है। इसके साथ ही कोई स्थानीयकृत जैव-मिथेनेशन संयंत्र नहीं होने और कचरा जलाने पर कोई जुर्माना नहीं लगाने से भी पिछले कुछ सालों में कई मोर्चों पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की निष्क्रियता के चलते पिछले कुछ सालों में मुंबई में वायु प्रदूषण बढ़ा है।
इस साल मार्च में जारी बीएमसी की मुंबई वायु प्रदूषण शमन योजना (MAPMP) ने खुले में जलाए जाने वाले कूड़े और ठोस अपशिष्ट को वायु प्रदूषण के शीर्ष पांच स्रोतों में से एक के रूप में पहचाना है। इसके अलावा अन्य चार हैं- निर्माण स्थल और निर्माण मलबे से उत्पन्न होने वाली धूल, सड़क की धूल,रेस्टोरेंट, ढाबों, बेकरियों और सड़क के किनारे भोजनालयों में अशुद्ध ईंधन का इस्तेमाल और तैयार मिश्रण कंक्रीट संयंत्रों और कास्टिंग यार्ड संयंत्रों का उपयोग करने वाले उद्योगों सहित अन्य कई उद्योग।
19 अक्टूबर को लॉन्च की गई एक्सप्रेस सीरीज़ ‘डेथ बाय ब्रीथ’ से पता चलता है कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में मुंबई में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से लोगों, विशेषकर छोटे बच्चों पर स्वास्थ्य संबंधी खतरे हुए हैं। खुले में कचरा और ठोस अपशिष्ट जलाने से हवा जहरीली हो जाती है जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। “जलाए जाने वाले ठोस कचरे में मुख्य रूप से प्लास्टिक, रबर, पॉलीथीन और कागज शामिल हैं। इनसे निकलने वाले बारीक कण प्रदूषक बन जाते हैं जो हवा में मिलकर वातावरण को जहरीला बना देते हैं।
लीलावती अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ जलील पारकर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “धुएं से कार्सिनोजेन का निर्माण भी हो सकता है जो कैंसर का कारण बनता है, इस प्रकार यह गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा करता है।”
मुंबई में पहले क्लीन अप मार्शल थे जो सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा-कचरा फेंकने और जलाने के लिए जनता की निगरानी करने और जुर्माना लगाने के लिए निजी एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त किए गए थे। मार्शलों को पहली बार 2007 में मुंबई में पेश किया गया था लेकिन निजी एजेंसी के साथ अनुबंध मार्च 2022 में खत्म हो जाने के बाद से शहर में अब कोई मार्शल नहीं है।
संपर्क करने पर, नागरिक निकाय के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) के एक अधिकारी ने कहा, “प्रति नगर निगम वार्ड में 30 मार्शल तैनात करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है और ड्राफ्ट नगर आयुक्त को भेजा गया है। हम एक सप्ताह के भीतर मंजूरी की उम्मीद कर रहे हैं जिसके बाद किसी एजेंसी की नियुक्ति की जाएगी।” दिसंबर 2006 में, कचरा जलाने के लिए जुर्माना 100 रुपये निर्धारित किया गया था। पर पिछले 17 वर्षों में जबकि जुर्माना राशि में कोई संशोधन नहीं हुआ है, BMC के पास अब तक लगाए गए किसी भी जुर्माने का रिकॉर्ड नहीं है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, खुले में कूड़ा जलाने वाले ज्यादातर लोग निम्न आय वर्ग से हैं और जागरूकता की कमी के कारण ऐसा करते हैं। कई लोग स्वेच्छा से ऐसा करते हैं क्योंकि बीएमसी वैन उनका कचरा नहीं उठाती हैं और ये लोग जलाने के अलावा कचरे के निपटान का कोई अन्य तरीका नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा, “अगर बीएमसी प्रत्येक नगरपालिका क्षेत्र में बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर सकती है, तो डंपिंग ग्राउंड में स्थानांतरित होने वाले कचरे का बड़ा हिस्सा खुद ब खुद कम हो जाएगा।”
अतिरिक्त नगर आयुक्त सुधाकर शिंदे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए नए दिशानिर्देश तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। हम भारी जुर्माना लगाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। ड्राफ्ट पड़ोसी जिलों के नगरपालिका और योजना अधिकारियों के समन्वय से तैयार किया जा रहा है।”
(Special Story By- Pratip Acharya)