बिहार सरकार द्वारा पेश किए जातिगत सर्वे रिपोर्ट के बाद एक बड़ी राजनीतिक बहस छिड़ गई है। जहां भाजपा नीतीश सरकार पर गलत आंकड़े पेश करने का आरोप लगा रही है वहीं बिहार के मुस्लिम नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर ने इसपर खुशी जाहिर की है। बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट में पहचाने गए पिछड़े वर्गों में से 10% अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, अली अनवर का कहना है कि इस सच्चाई को लंबे वक्त तक राजनीति के रहते छिपाया गया था।
इस आंकड़े को लेकर भाजपा और मुसलमान नेताओं के अपने-अपने मत हैं, एक तरफ इसे भ्रमित करने वाला आंकड़ा बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ पूर्व राज्यसभा सांसद और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रमुख अली अनवर अंसारी का कहना है कि नए ईबीसी आंकड़े बताते हैं कि पिछड़े मुसलमानों की संख्या अच्छी खासी है, इससे उन्हें उनका हक मिलने में आसानी होगी।
बिहार सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ है, इसमें 81.99 प्रतिशत हिंदू और 17.70 फीसदी मुसलमान हैं। मुस्लिम आबादी को इस सर्वे में 3 वर्गों में बांटा गया है। मुस्लिम आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अति पिछड़े मुसलमानों का है। सर्वे के मुताबिक कुल मुसलमानों में करीब 10.58 प्रतिशत अति पिछड़े (EBC) मुसलमान हैं। इसमें सबसे उच्च तबके में शेख-सैयद और पठान आते हैं उनकी संख्या 4.80 परसेंट है जबकि बैकवर्ड मुसलमान 2.03 परसेंट के करीब हैं पर मुस्लिम आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अति पिछड़े मुसलमानों का है, कुल मुसलमानों में करीब 10.58 प्रतिशत अति पिछड़े मुसलमान हैं।
दो मुस्लिम समूहों – नालबंद और मलिक को राज्य में ओबीसी के रूप में पहचाना जाता है। इसके अलावा 24 जातियों को EBC के तहत सूचीबद्ध किया गया है। EBC मोमन जुलाहा अंसारी 3.54% प्रातिशत हैं, ये जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। इसे समझने के लिए आप चार्ट देख सकते हैं।
इस पूरे मामले में भाजपा को बहुत सतर्क होकर सवाल उठाना होगा क्योंकि भाजपा बिहार में पसमांदा वोटों की बड़ी संख्या का फायदा हासिल करती रही है।
पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”बिहार जाति सर्वेक्षण ने वही साबित कर दिया है जो हम हमेशा से कहते रहे हैं। 1931 की जनगणना तक मुसलमानों को जाति के आधार पर गिना जाता था और मंडल आयोग की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया गया था, लेकिन मुसलमानों को एक गुट के रूप में दिखाकर राजनीति खेली गई है। जाति मुसलमानों में भी उतनी ही वास्तविकता है जितनी हिंदुओं में।”
अली अनवर ने आगे कहा, ”मैं पिछले 25 वर्षों से पसमांदा मुसलमानों के लिए लगभग अकेले ही लड़ाई लड़ रहा हूं। यह सच है कि नीतीश कुमार ने मुझे दो बार राज्यसभा सांसद बनाया और कुछ अन्य पसमांदा मुसलमानों को भी स्वीकार किया गया, लेकिन मुस्लिम EBC को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया है। अब हमें इस वर्ग के लिए समर्पित नीतियों और कार्यक्रमों की उम्मीद है… राज्य सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में एक पसमांदा सेल होना चाहिए।”