दिल्ली जेल विभाग ने कैदियों के छिपाकर रखे गए मोबाइल फोन और धातु की वस्तुओं का पता लगाने के लिए अमेरिका की एक कंपनी से 10 ‘डिटेक्टर’ (उपकरण) खरीदे हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ कारागार अधिकारी ने कहा कि ये डिटेक्टर जमीन या कंक्रीट में दो फुट की गहराई तक छिपाकर रखी गई वस्तुओं का भी पता लगा सकते हैं। अधिकारी ने कहा, “हमने 2021 में दो नॉन-लीनियर जंक्शन डिटेक्टर खरीदे थे और उन्हें परीक्षण के आधार पर इस्तेमाल किया था। परिणाम बहुत ठीक रहा था जिसके बाद विभाग ने अमेरिका स्थित संगठन ओरियन से और अधिक उपकरण खरीदने का फैसला किया है।”
एक वरिष्ठ कारागार अधिकारी बताया कि प्रत्येक उपकरण की कीमत 15 लाख रुपये है और विभाग ने ऐसे 10 उपकरणों के लिए 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि ये उपकरण हाल में खरीदकर जेलों में वितरित किए गए। उन्होंने कहा, “ये उपकरण कंक्रीट और मिट्टी में एक से दो फुट की गहराई तक छिपाकर रखे हुए मोबाइल फोन, सिम कार्ड और धातुओं का पता लगा सकता है।” दिल्ली की जेलों – तिहाड़, मंडोली और रोहिणी – की क्षमता 10,026 कैदी रखे जाने की है। हालांकि, अधिकारी के अनुसार, फिलहाल इन तीन जेलों में 17,906 विचाराधीन कैदी और 2,165 दोषी बंद हैं।
जेलों में कैदियों के मोबाइल फोन छिपा कर रखने की कई खबरें सामने आती रही हैं। इसे लेकर जेल कर्मी लगातार जांच पड़ताल भी करते रहते हैं लेकिन कई मर्तबा सुरक्षा में बड़ी चूक भी सामने आती रहती है।
इस बार दिल्ली जेल विभाग ने इस समस्या से निकलने का यह एक बड़ा प्लान खोजा है जहां कैदियों की निगरानी और उनके छिपे हुए मोबाइल को खोज निकालने में आसानी पैदा होगी। एक वरिष्ठ कारागार अधिकारी ने कहा कि मोबाइल फोन और धातु की वस्तुओं का पता लगाने के लिए अमेरिका की एक कंपनी से 10 ‘डिटेक्टर’ (उपकरण) खरीदे गए हैं। जिनकी छिपे हुए मोबाइल फोन को खोजने की काबिलियत बेहतरीन होगी।