बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट रिलीज होने के बाद उम्मीद है कि कर्नाटक नवंबर में अपनी रिपोर्ट जारी कर सकता है। कर्नाटक राज्य स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े ने आज कहा कि रिपोर्ट अगले महीने तक सरकार को सौंपे देंगे। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि एक बार कर्नाटक राज्य स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग रिपोर्ट सौंप दे। फिर उनकी सरकार इस पर कोई निर्णय करेगी।
बिहार सरकार के जाति आधारित गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के बाद कर्नाटक सरकार पर भी राज्य की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक जनगणना को सार्वजनिक करने का दबाव बढ़ रहा है। 2015 में सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण शुरू किया था। लेकिन उसके नतीजे अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
उस समय पिछड़ा वर्ग आयोग को जाति गणना कराने का काम सौंपा गया था। तब आयोग के अध्यक्ष एच कंथाराज थे। उनकी अगुवाई में यह काम किया गया था। माना जा रहा है कि सरकारें सर्वेक्षण के नतीजों को जारी करने से कतरा रही है, क्योंकि सर्वेक्षण के नतीजे कर्नाटक में विभिन्न जातियों की संख्या को लेकर पारंपरिक धारणा के विपरीत हैं। राजनीतिक दल सर्वेक्षण को स्वीकार नहीं करने और इसे सार्वजनिक नहीं करने को लेकर लंबे समय से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की सराहना की। उसके बाद कर्नाटक में अपनी पार्टी की सरकार से जाति जनगणना के आंकड़े जल्द से जल्द जारी करने का आग्रह किया। हरिप्रसाद ने कहा कि जाति गणना की मांग लंबे समय से की जा रही है। इससे विभिन्न समुदायों को वे अधिकार देने में मदद मिलेगी जिसके वो हकदार हैं। इसके लिए कंथाराज आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उस रिपोर्ट में कोई कमी है तो उसे सुधार कर उसे लागू करने की जरूरत है।