उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर ‘जिहाद’ शब्द पर सियासी चर्चा दिखाई दी है। जहां कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुताबिक लव जिहाद से ज़्यादा भूमि जिहाद उत्तर प्रदेश का सबसे प्रमुख मुद्दा है। सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इस और ध्यान केन्द्रित किया है। भूमि जिहाद भी लव जिहाद की तरह गढ़ ली गई एक टर्म है जिसे सियासी तौर पर चर्चा में लाया जाता रहा है।
कुछ हिन्दू संगठनों की ओर से ‘भूमि जिहाद’ टर्म उपजाया गया है और 2017 से उपयोग में है। मुसलमानों का हिंदू-बहुल क्षेत्रों में बसने और आसपास के क्षेत्र में मस्जिद या मदरसों का निर्माण करने को भूमि जिहाद कहा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के एक मौलवी के मुताबिक ‘भूमि जिहाद’ 2017 में मेरठ जिले में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान गढ़ा गया था। इस विरोध का नेतृत्व हिंदू बहुल इलाके में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय भाजपा नेताओं ने किया था। जब एक मुसलमान द्वारा जमीन खरीदे जाने के बाद यह मुद्दा उठा था।
RSS के लिए तथाकथित ‘भूमि जिहाद’ इतना गंभीर मुद्दा है कि RSS इसे लेकर सावधानी बरतने की बात करता और लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए स्वयंसेवकों को प्रेरित करता रहा है। आरएसएस और संबद्ध समूहों का मानना है कि ये साधारण भूमि सौदे नहीं बल्कि एक साजिश है।
आरएसएस नवंबर में ‘अवध प्रांत’ में एक अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसमें लखनऊ भी शामिल है। RSS अक्टूबर में ‘प्राथमिक शिक्षा वर्ग’ नाम की सात दिवसीय कार्यशाला का भी आयोजन करेगा। कार्यशाला में स्वयंसेवकों को ग्रामीण क्षेत्रों में संघ की पहुंच बढ़ाने और ‘भूमि जिहाद’ और ‘लव जिहाद’ के खिलाफ ग्रामीण आबादी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि यूपी सरकार ने अभी तक ‘भूमि जिहाद’ के तथाकथित मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।