कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लोकसभा में ओबीसी वर्ग की अनदेखी का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह एक व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस नेता ने कहा था कि मौजूदा सरकार ने इस वर्ग की अनदेखी की है। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार में 90 सचिवों में से केवल तीन ही ओबीसी श्रेणी से आते हैं। राहुल गांधी के इस बयान के बाद भाजपा-कांग्रेस दोनों की और से कई बातें कही गई हैं, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकारों में OBC प्रातिनिधित्व को लेकर एक आंकड़ा पेश करती है जिसमें कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब दिखाई देता है।
वर्तमान में कांग्रेस शासित चार राज्यों में मुख्य सचिव जनरल कैटेगरी से आते हैं। इस ही तरह कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों के नेतृत्व वाले छह राज्यों में से केवल तमिलनाडु में आरक्षित वर्ग (एसटी) से संबंधित एक मुख्य सचिव है।
इस लिस्ट से आपको मामला क्लियर समझ आएगा।
1. हिमाचल प्रदेश सरकार : प्रबोध सक्सेना (मुख्य सचिव)
2. पंजाब सरकार : अनुराग वर्मा (मुख्य सचिव)
3. राजस्थान सरकार : उषा शर्मा (मुख्य सचिव)
4. कर्नाटक सरकार : वंदिता शर्मा
5. बिहार सरकार : अमीर सुभानी
6. पश्चिम बंगाल : एच के द्विवेदी
7. छत्तीसगढ़ सरकार : अमिताभ जैन
8. झारखंड सरकार : सुखखदेव सिंह
9. केरल सरकार : वी वेणु केरल
इनमें से लगभग सभी उच्च जाति वर्ग से हैं। एसटी वर्ग से शिव दास मीना (तमिलनाडु) एकमात्र मुख्य सचिव हैं।
लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि भारत सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी हैं। उन्होंने 25 सितंबर को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली में अपनी टिप्पणी दोहराई थी। दावे पर पलटवार करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश को सरकार चलाती है, सचिव नहीं।
सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 1985 से 1989 तक जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे सरकार का कोई भी सचिव किसी आरक्षित वर्ग (एससी/एसटी) से नहीं था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अब 2023 में सात सचिव एससी वर्ग और पांच एसटी वर्ग के हैं।जबकि 2014 में ओबीसी श्रेणी से संबंधित अतिरिक्त सचिव/संयुक्त सचिव रैंक के केवल दो अधिकारी थे, तब से यह संख्या बढ़कर 63 हो गई है।
कांग्रेस शासन के दौरान कांग्रेस प्रधानमंत्रियों (इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह) के प्रधान सचिव के रूप में कार्य करने वाले सभी अधिकारी सामान्य श्रेणी से थे।