कनाडा में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की गुरुद्वारे में गोली मारकर हत्या के पीछे कौन था और क्यों उसे मारा गया, इन सवालों के जवाब फिलहाल स्पष्ट नहीं हैं लेकिन हत्या के बाद सामने आए सीसीटीवी फूटेज और वीडियोज़ के जरिए कई दावे किए जाते रहे हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने इन वीडियोज़ की गहनता से जांच कर एक रिपोर्ट शाया की है। यह रिपोर्ट कहती है कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की गुरुद्वारे के बाहर हत्या में कम से कम छह लोग और दो वाहन शामिल थे।
स्थानीय सिख समुदाय के सदस्य यह आरोप लगते रहे हैं कि अधिकारियों ने उन्हें गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के बाहर 18 जून को हुई इस हत्या की जांच के बारे में बहुत कम बताया है। उनका कहना है कि पुलिस घटनास्थल पर देर से पहुंची थी और जांच को लेकर भी काफी गंभीर नहीं थी।
कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले हफ्ते कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स को बताया था कि उनके अधिकारी जांच के बाद यह मानते हैं कि भारत सरकार के एजेंट निज्जर की हत्या में शामिल थे।
भारत ने हरदीप सिंह निज्जर को आतंकवादी करार दिया था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने निज्जर पर पंजाब में एक हिंदू पुजारी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था और उसे भगोड़ा आतंकवादी कहा था।
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या गुरुद्वारे के सुरक्षा कैमरे में कैद हो गई थी। वीडियो जांचकर्ताओं के साथ साझा किया गया है। समीक्षा की गई वीडियो की 90 सेकंड की रिकॉर्डिंग निज्जर के ग्रे पिकअप ट्रक को पार्किंग स्थान से बाहर निकलने के साथ शुरू होती है। बगल में एक सफेद सेडान दिखाई देती है जो ट्रक के साथ चलती है। जैसे ही गाड़ियां पार्किंग एरिया से बाहर निकलती हैं सेडान सामने आ जाती है और ट्रक को रोकने के लिए ब्रेक लगाती है।
अचानक हुड वाली स्वेटशर्ट पहने दो आदमी दिखाई देते हैं और ट्रक की ओर बढ़ते हैं। वह निज्जर पर गोलियां चलाते हैं और भाग जाते हैं। जांच के मुताबिक हमलावरों ने लगभग 50 गोलियां चलाईं और निज्जर को चौंतीस गोलियां लगीं, मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक उसने वहीं दम तोड़ दिया था।
द पोस्ट के मुताबिक मौके पर मौजूद पहले गवाह मलकीत सिंह ने कहा कि वह उन लोगों को नहीं पहचानते लेकिन इतना जानते हैं कि सिख गेट-अप में थे। तीन अन्य लोग सिल्वर कार के अंदर इंतजार कर रहे थे। वह उनके चेहरे नहीं देख सका था। गुरुद्वारे के कार्यवाहक चरणजीत सिंह निज्जर के शव के साथ रहे और बाकी लोग हत्यारों के पीछे भाग गए। चरणजीत सिंह ने उन्हें देखा था।
प्रत्यक्षदर्शियों ने द पोस्ट को बताया कि गोलियों की आवाज के बाद पुलिस अधिकारियों को पहुंचने में 12 से 20 मिनट का समय लगा। समुदाय के सदस्यों ने इस गैप को चौंकाने वाला बताया, क्योंकि उनका कहना था कि बड़ी संख्या में पुलिसवाले नियमित रूप से पड़ोस में गश्त करते हैं। आरोप यह भी लगाया गया कि एक बार अधिकारी पहुंचे तो सरे पुलिस और आरसीएमपी के बीच घंटों तक खींचतान चली। वे यह तय नहीं कर सके कि जांच का नेतृत्व कौन करेगा। इसलिए बहुत ज़्यादा देर हो गई।