देश में गेहूं के दामों में बड़ा उछाल देखने को मिला है, ये आठ महीनों के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है। माना जा रहा है कि त्योहार करीब हैं, ऐसे में डिमांड और ज्यादा बढ़ने वाली है। उसी डिमांड को ध्यान में रखते हुए सरकार गेहूं को खुले बाजार में बेच सकती है। इस समय उपभोक्ताओं को राहत देना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है, इसी वजह से गेहूं को खुले बाजार में बेचने पर विचार किया जा रहा है।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने जानकारी दी है कि देश में गेहूं की कोई भी कमी नहीं है, सरकार दाम को कम करने के लिए हर संभव कदम उठाने को पूरी तरह तैयार है। अब देश के लोगों को कम समय में महंगे गेहूं से निजात मिले, ऐसे में आटा मिलों और बिस्कुट कंपनियों और ज्यादा गेहूं बेचने पर विचार किया जा रहा है। इसके ऊपर जमाखोरी पर नकेल कसने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसलवा किया है।
पहले गेहूं की स्टॉक लिमिट 3000 टन चल रही थी, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे घटाकर 2000 टन कर दिया है। अब कब तक ये सिस्टम रहने वाला है, ये साफ नहीं, लेकिन जब तक गेहूं के दाम फिर नियंत्रण में ना आ जाए, सरकार इसी पॉलिसी पर आगे भी चल सकती है।
अब यहां ये समझना जरूरी है कि इस समय देश में कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, इसके ऊपर अगले साल तो लोकसभा का रण भी शुरू होने जा रहा है। अब मोदी सरकार किसी भी कीमत पर महंगे गेहूं के बीच चुनावी मैदान में नहीं उतरना चाहती है, इसी वजह से हर कीमत पर जनता को राहत देने पर जोर दिया जा रहा है। वैसे पिछली बार जब टमाटर के दामों में अचानक से आग लगी थी, तब कई महीनों बाद स्थिति को कंट्रोल किया गया था, अब गेहूं के दाम कब तक सामान्य हो पाएंगे, इस पर सभी की नजर रहने वाली है।