लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना का मुद्दा उठा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना का मुद्दा उठाया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान इसे कराया था।
सोमवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “कांग्रेस ने 2011 में जाति जनगणना कराई थी। इसमें हर जाति के लोगों का डेटा है, लेकिन मोदी जी वह डेटा लोगों को नहीं दिखाते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में मैंने पहले भी बात की है। भारत सरकार में 90 सचिवों में से केवल 3 ही ओबीसी हैं। जाति जनगणना भारत का एक्स-रे होगी। इससे हम यह पता लगा सकेंगे कि कितने लोग एससी, एसटी, दलित और सामान्य वर्ग के हैं।”
सामाजिक न्याय और ओबीसी की इस राजनीति पर एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे के लिए ये विपक्षी इंडिया गठबंधन का जवाब होगा।
अपने दूसरे कार्यकाल के लगभग एक साल बाद 2010 में यूपीए सरकार उस समय आश्चर्यचकित रह गई थी जब समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) ने 2011 की जनगणना के साथ-साथ जातिगत गणना की मांग उठाई थी। तब कांग्रेस और भाजपा के पास जाति जनगणना पर कोई स्पष्ट रुख नहीं था। हालांकि पार्टियों के भीतर ओबीसी नेताओं का एक वर्ग इसके पक्ष में था। पी. चिदम्बरम के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय ने तब तर्क दिया कि जनगणना अभ्यास के दौरान अपने प्रश्नों की सूची में जाति को शामिल करने से गलत परिणाम मिलेंगे।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना अभ्यास शुरू किया लेकिन घरों की गणना और डेटा के सारणीकरण में देरी हुई। जनगणना 2012 के अंत तक पूरी हो गई थी लेकिन अंतिम डेटा 2013 के अंत तक तैयार नहीं था।
सरकार ने मार्च में लोकसभा को बताया कि जाति डेटा की गणना के दौरान कुछ गलतियां देखी गई हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि जाति डेटा को रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय को सौंप दिया गया है। अगस्त में सरकार ने राज्यसभा को बताया कि डेटा कलेक्शन के चरण में कुछ डिज़ाइन मुद्दों के कारण जाति डेटा की प्रोसेसिंग में समय लग रहा।
गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि जाति का कच्चा डेटा वर्गीकरण के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को उपलब्ध करा दिया गया है। सितंबर में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में उस वर्ष जाति जनगणना कराने से प्रभावी रूप से इनकार कर दिया और कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा, किसी भी अन्य जाति के बारे में जानकारी को जनगणना के दायरे से बाहर करना एक अपराध है।