2021 में जब पीएम नरेंद्र मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी दौरे पर थे उस समय एक महिला ने हाथ जोड़कर आभार व्यक्त करते हुए कहा था कि आपकी वजह से हम लोगों का घर बन गया। दरअसल, उस महिला ने पीएम मोदी को आवास योजना के लिए धन्यवाद दिया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार ने महिला केंद्रित योजनाएं विकसित की हैं और किस योजना के तहत कितना काम हुआ इस पर भी प्रकाश डाला है। भाजपा ने जनता को यह भी बताया कि इस सरकार ने महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण पर कैसे ध्यान केंद्रित किया है।
दरअसल, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव एक लैंगिक न्याय कदम है। जिसे मोदी सरकार 2024 के चुनाव अभियान के दौरान भुनाने वाली है। ऐसा ही कुछ 2019 के चुनाव के समय हुआ था। उस वक्त बीजेपी ने तीन तलाक कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं का समर्थन हांसिल किया था।
असल में महिलाओं वोट बैंक को साधना भाजपा तक ही सीमित नहीं है। कांग्रेस, जद (यू), द्रमुक और आम आदमी पार्टी (आप) सहित सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी सफलता के लिए महिलाओं को लुभाने की कोशिश की है। राजनीतिक दल पहले एक विशिष्ट समुदाय या एक विशेष जाति पर ध्यान केंद्रित करते थे। अब वे महिलाओं वोट बैंक हांसिल करने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, महिलाएं अपने आप में एक चुनावी क्षेत्र बन गई है।
चुनावी प्रक्रिया में महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़ने से उनका प्रभाव बढ़ रहा है। 2019 में पहली बार पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
3 सालों में पुरुष मतदाताओं की संख्या में 3.6% की वृद्धि देखी गई
2019 से 2022 तक मतदाताओं की कुल संख्या 4.3% बढ़ी
अब कुल मतदाता 95.1 करोड़ हैं जो 3 साल पहले 91.2 करोड़ थे
2019 में 43.8 करोड़ से बढ़कर अब 46.1 करोड़ महिला मतदाता हैं
पुरुष मतदाताओं की संख्या 47.3 करोड़ से बढ़कर अब 49 करोड़ हो गई है
2019 के लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी 67.2% थी। वहीं 67% पुरुषों ने अपने मत का प्रयोग किया था। वहीं 1962 के लोकसभा चुनाव में 62 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं के मुकाबले केवल 46.6 प्रतिशत महिलाओं ने ही मतदान किया था।
2022 तक तीन सालों में महिला मतदाताओं की संख्या में 5.1% की वृद्धि हुई। इसी समय में पुरुष मतदाताओं की संख्या में 3.6% की वृद्धि हुई।
राजनीतिक दल महिला वोटर्स के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं और यही कारण है कि उन्होंने महिलाओं को वोट देने के लिए आकर्षित करने का प्रयास तेजी से किया है। राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं के बैंक खातों में भत्ता जमा कर, रसोई गैस में सब्सिडी देकर, मुफ्त बस यात्रा या शराब की खपत के खिलाफ कार्रवाई कर उनके वोट बैंक को जीतने की कोशिश की।
2016 में बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार शराबबंदी लेकर लाए। जिससे उन्हें महिलाओं का अपार समर्थन मिला। शराबबंदी के फैसले की वजह से 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश की जेडीयू को 43 सीटें मिलीं। उस चुनाव में भी पुरुषों (54.68 प्रतिशत मतदान) की तुलना में अधिक महिलाएं (59.69 प्रतिशत) वोट देने निकलीं थी।
यही नहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 2019 में मुफ्त बस यात्रा सहित महिलाओं के लिए रियायतों का वादा किया था। जिसके बाद 2020 में दिल्ली में आप सत्ता में आई।
वहीं चुनावी राज्य कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश की। कांग्रेस ने कई रियायतों का वादा किया। जिसमें परिवार की हर महिला को 2,000 रुपये प्रति माह और राज्य बसों में मुफ्त यात्रा शामिल है। वादों और सत्ता विरोधी लहर ने कांग्रेस के लिए काम किया और उसने चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर 224 में 136 सीटें हासिल कीं। तेलंगाना में पार्टी इसी टेम्पलेट का उपयोग करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने रविवार (17 सितंबर) को महालक्ष्मी योजना की घोषणा की। उन्होंने महिलाओं के लिए 2,500 रुपये प्रति माह, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर और राज्य सरकार की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा का वादा किया। सोनिया गांधी ने कहा, “कांग्रेस तेलंगाना में मेरी प्यारी बहनों को सशक्त बनाएगी।”
भाजपा ने हमेशा महिलाओं को सशक्त बनाने वाली योजनाओं पर जोर दिया है। 9.6 करोड़ महिलाओं के लिए रसोई गैस उज्ज्वला योजना, 27 करोड़ जन धन खाते खोलना, विशेष सावधि जमा योजनाएं, महिला उद्यमियों को 27 करोड़ से अधिक मुद्रा ऋण का वितरण और मिशन पोषण सहित मोदी सरकार द्वारा लागू की गई पहलों से महिलाओं को काफी लाभ हुआ है।
स्वच्छ भारत मिशन को महिलाओं की गरिमा की रक्षा करने वाली एक योजना के रूप में पेश किया गया था। प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना का उद्देश्य महिलाओं के लिए रसोई प्रदूषण को कम करना था और जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का पानी लाने में महिलाओं की समस्याओं को कम करना था। इसके अलावा पीएम आवास-ग्रामीण योजना ने 1.7 करोड़ से अधिक महिलाओं को घर दिए किए।
इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया पोस्ट पोल रिसर्च के अनुसार, 2019 के आम चुनाव में महिलाओं ने पीएम नरेंद्र मोदी का समर्थन किया। एग्ज़िट पोल के आंकड़ों ने सुझाव दिया कि 46 प्रतिशत महिलाओं ने भाजपा और उसके सहयोगियों को वोट दिया था। वहीं 27 प्रतिशत ने कांग्रेस और अन्य 27 प्रतिशत ने अन्य दलों को वोट दिया था। किसी भी आम चुनाव में यह पहली बार था जब महिलाओं (46 प्रतिशत) ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पक्ष में पुरुषों (44 प्रतिशत) से अधिक मतदान किया। दिलचस्प बात यह है कि चुनाव के बाद के अध्ययन से पता चला कि 50 प्रतिशत गृहिणियों ने भाजपा को वहीं 23 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया था।
एक्सिस माई इंडिया और लोकनीति सीएसडीएस के चुनाव बाद सर्वे के अनुसार, उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में से चार में 2022 के विधानसभा चुनाव में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया।
चुनाव आयोग के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनावों में अधिक महिलाएं भाग ले रही हैं। इसलिए यह एक ऐसा मतदाता समूह है जिसे कोई भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती है। लैंगिक राजनीति और महिला केंद्रित कल्याणवाद इस हद तक केंद्र में आ गया है कि पार्टियों ने महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए चुनाव घोषणापत्र जारी करना शुरू कर दिया है।
तीन तलाक विधेयक की तरह महिला आरक्षण विधेयक न केवल लैंगिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि एक उपलब्धि भी है। जिसका उपयोग 2024 के आम चुनाव सहित आने वाले चुनावों में लाभ के लिए किया जा सकता है। महिला आरक्षण विधेयक कितना बड़ा संदेश देगा…यह इससे साफ है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी इसका श्रेय लेने के लिए बोलीं, “अपना है”।
इससे पहले सोमवार को कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह 2010 में महिला आरक्षण बिल लाए और इसे राज्यसभा में पारित किया, लेकिन जब मैसेजिंग की बात आती है तो बीजेपी को हराना बहुत मुश्किल है।
दरअसल, पीएम मोदी एक विश्वसनीय चेहरा हैं। उन्होंने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को लॉन्च कर इसे लोकप्रिय बनाया। पीएम हमेशा लैंगिक न्याय के मुद्दों पर बोलते रहे हैं। रिसर्च से साफ है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मतदान करने की अधिक संभावना है। ऐसे में महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने वाले राजनीतिक दलों ने मतदान प्रतिशत और समर्थन में वृद्धि देखी है।
जनवरी 2020 में एक पुरस्कार समारोह के मंच पर पीएम मोदी ने एक महिला के पैर छुए थे, जिसका वीडियो वायरल हुआ था। अब 2024 में साफ हो होगा कि पीएम मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी को महिलाओं का कितना आशीर्वाद मिलता है?