भारत और कनाडा के रिश्ते सामान्य नहीं है। खालिस्तानी आतंकियों को लेकर कनाडा सरकार के रवैया ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर दी है। मंगलवार सुबह दोनों देशों ने एक दूसरे के टॉप डिप्लोमेट्स को हटा दिया। दोनों देशों के इस कदम को काफी अहम माना जा रहा है।
बता दें कि भारत के बाद कनाडा में सबसे अधिक संख्या में सिख रहते हैं। जैसे ही दोनों देशों के बीच खटास की खबरें आई, उसके बाद दोनों देशों की सेनाओं की तुलना की जाने लगी। भारत सैन्य ताकत के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर है तो वहीं ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2023 के अनुसार कनाडा सैन्य ताकत के मामले में 27वें नंबर पर है।
अगर हम भारत की सैन्य ताकत से कनाडा की तुलना करें तो कनाडा की आर्मी काफी छोटी है। भारत के पास 14 लाख से अधिक एक्टिव सैनिक है। तो वहीं कनाडा के कुल सैनिकों की संख्या ही करीब 71,500 है। साढ़े 71 हजार में से केवल 23,000 सैनिक ही फुल टाइम हैं। बाकियों को जरूरत पड़ने पर कनाडा सरकार काम पर बुलाती है।
भारत अपनी जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा अपनी सैन्य ताकत पर खर्च करता है। वर्ष 2022-23 में भारत 69 बिलियन डॉलर अपनी सेना पर खर्च कर रहा है, जबकि कनाडा अपनी सेना पर करीब 37 बिलियन डॉलर खर्च करता है। कनाडा में लोग सेना में शामिल भी नहीं होना चाहते हैं। इसी कारण पिछले साल ही कनाडा सरकार ने गैर कनाडाई लोगों से भी मिलिट्री में शामिल होने की अपील की थी। कनाडा सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार, जो युवा पिछले 10 सालों से कनाडा में रह रहे हैं, वह सेना में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
किसी भी देश की सैन्य ताकत का अंदाजा उसके पास मौजूद परमाणु हथियारों से लगाया जा सकता है। भारत के पास एडवांस न्यूक्लियर हथियार हैं, जबकि कनाडा में 1980 के बाद न्यूक्लियर हथियारों को लेकर कोई काम नहीं हुआ है। दरअसल कनाडा ने नाटो की संधि के तहत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किया था। उसके बाद से उसने न्यूक्लियर हथियारों पर काम नहीं किया। इस संधि के अनुसार अगर कनाडा पर कोई खतरा होगा तो नाटो देश उसे अपने ऊपर खतरा मानेंगे और उसकी मदद करेंगे।