निपाह वायरस एक बार फिर चर्चा में हैं। वजह है केरल में सामने आए कुछ नए मामले, इन नए मामलों के चलते केरल सरकार ने काफी एहतियाती कदम उठाए हैं। राज्य में जगह-जगह कोरोना की तरह ही नियंत्रण क्षेत्र बनाए गए हैं और लोगों से सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है। अभी तक सिर्फ 6 मामलों के सामने आने की बात कही जा रही है। सरकार इससे निपटने के लिए इलाज पर भी ध्यान खास ध्यान दे रही है। भारत ने इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की खरीद के लिए ऑस्ट्रेलिया से संपर्क किया है। हम इस आर्टिकल के जरिए जानेंगे कि निपाह वायरस क्या है और कब भारत में आया?
केरल में निपाह जोर पहली बार 2018 में देखा गया था। 2018 से पहले भारत में निपाह का दो और मामले इससे पहले पश्चिम बंगाल में थे। इसके बाद निपाह के सभी मामले सिर्फ केरल से रिपोर्ट किए गए हैं। 2019 में एर्नाकुलम में एक मामला सामने आया था। 2021 में कोझिकोड में निपाह से एक मौत हुई थी। निपाह एक ज़ूटोनिक वायरस है और जानवरों और लोगों के बीच फैल सकता है। यह वायरस संक्रमित फल, जानवर या किसी अन्य संक्रमित इंसान से इंसान के भीतर जाता है।
हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि निपाह वायरस की शुरुआत कैसे हुई थी। केरल में निपाह वायरस का पहला मामला मई 2018 में आया था। कहा यह भी जा रहा है कि ताजा मामले बहुत जादा खतरनाक नहीं हैं और इससे बहुत ज़्यादा प्रभाव नहीं देखा जा रहा है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के एक सर्वे से पता चला है कि निपाह वायरस नौ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चमगादड़ों की आबादी के बीच फैल रहा है। निपाह के मामले केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और पांडिचेरी में पाए गए। केरल में इसके मामले ज़्यादा पाए जा रहे हैं, जिसकी वजह चमगादड़ और मीठे फलों और पेड़ों की मौजूदगी को भी कहा जा सकता है।