प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बेहतरीन शोमैन हैं। वह जी-20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं की मौजूदगी में आत्मविश्वास से भरे और सहज लग रहे थे। उनके पास एक टीम है जो सावधानीपूर्वक उनके भाषण के नोट्स तैयार करती है ताकि एक भी गलत शब्द न बोला जाए। और वे जानते हैं कि अपने किसी भी मंत्री को एक इंच की जगह दिए बिना कैमरे के फ्रेम पर कैसे कब्जा जमाना है।
माननीय प्रधानमंत्री ने, जैसा कि उनका इरादा रहता है, मीडिया को दूर रखा। उन्होंने न केवल खुद को मीडिया से दूर रखा, बल्कि उनकी सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब न दें। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल इतना निराश था कि उन्होंने यह बता दिया कि बाइडेन अपने अगले पड़ाव वियतनाम में जी 20 बैठक पर सवालों के जवाब देंगे!
चमकदार शैली
पैसे की कोई कमी नहीं थी। पूरी दिल्ली में चमकाई गईं सड़कें, पेड़, गमले में लगे पौधे, घास, रोशनी (और अधिक रोशनी), मूर्तियां और होर्डिंग लगाए गए। एक शहर के लिए पर्याप्त से अधिक सजावट थी। हम अगले स्थान, रियो डी जनेरियो के लिए कुछ अप्रयुक्त सामग्री देने की पेशकश कर सकते हैं। हर तरफ एक ही चेहरा था। यहां तक कि दौरे पर पहुंचे नेताओं को भी किसी भी होर्डिंग में थोड़ी सी भी जगह नहीं दी गई।
कुछ तथ्य
सभी विज्ञप्तियों की तरह, दिल्ली घोषणा में भी कुछ बुलंद घोषणाएं थीं। उदाहरण : ‘हम इतिहास के एक निर्णायक क्षण में मिल रहे हैं जहां अब हम जो निर्णय लेंगे वह हमारे लोगों और हमारे ग्रह के भविष्य को निर्धारित करेगा।’ मुझे यकीन है कि नेताओं की पिछली बैठक में भी इसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। और इसमें कोई शक नहीं कि अगली बैठकों में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
सकारात्मक परिणाम
’यूक्रेन में युद्ध का वर्णन करने के लिए सही शब्द ढूंढना, यह कहे बिना कि यह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध था। रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका (और उसके सहयोगियों) ने फार्मूलेशन को स्वीकार्य पाया, यह एक बड़ी उपलब्धि थी। शायद राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी की अनुपस्थिति से मदद मिली। मुझे ऐसा लगा कि हर कोई यूक्रेन के मुद्दे को निपटाना चाहता था, ताकि वे आर्थिक मुद्दों को संबोधित करने के काम को आगे बढ़ा सकें जो जी -20 का काम है।
’डब्ल्यूटीओ के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए, सभी के लिए अनुकूल व्यापार और निवेश वातावरण को बढ़ावा देने, और 2024 तक सभी सदस्यों के लिए सुलभ पूरी तरह से और अच्छी तरह से काम करने वाली विवाद निपटान प्रणाली के लिए कवायद की गई। विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक नगोजी ओकोंजो-इवेला की उपस्थिति ने इस नतीजे पर मुहर लगाई होगी।
’श्रम बल की भागीदारी में अंतर को कम करने, रोजगार तक समावेशी पहुंच, वेतन में लिंगभेद खत्म करने, महिलाओं पर यौन हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव को समाप्त करने, सुरक्षित कार्य स्थल और लैंगिक असमानता को बनाए रखने वाली रूढ़ियों व पूर्वाग्रहों को समाप्त करने की प्रतिबद्धता।’विद्वेष, नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों के आधार पर, या फिर धर्म या विश्वास के नाम पर आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की निंदा की गई और शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता की पहचान की गई।चौंतीस पन्नों, 83 पैराग्राफ वाला घोषणापत्र कुल मिलाकर पिछले निष्कर्षों और जारी पहल का अनुमोदन था।
रपटीली जमीन
भारत ने दावा किया और मीडिया ने ईमानदारी से प्रस्तुत किया कि उसने जी 20 देशों के बीच एक पूर्व-प्रतिष्ठित दर्जा हासिल कर लिया है और 2023 में भारत की अध्यक्षता एक ऐतिहासिक घटना थी। भारत ने यह भी दावा किया कि यह दर्जा उसके असाधारण आर्थिक प्रदर्शन और प्रधानमंत्री के नेतृत्व के कारण है। हर कोई जानता है कि जी-20 की अध्यक्षता प्रतिस्पर्धी बोली या दौड़ के माध्यम से नहीं जीती जाती है। अध्यक्षता बारी-बारी से मिलती है। अगला ब्राजील (2024), उसके बाद दक्षिण अफ्रीका (2025) होगा और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ 2026 में एक नया चक्र शुरू होगा।
इसके अलावा, पिछले नौ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन असाधारण नहीं रहा है। भारत की विकास दर मध्यम (औसत 5.7 फीसद) रही है। यहां तक कि बताए जा रहे विकास के आंकड़ों की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के विजिटिंग प्रोफेसर डा अशोक मोदी समेत कई ने आलोचना की है। उन्होंने बताया है कि 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 फीसद बताई गई वृद्धि ‘उत्पादन से आय’ पर आधारित थी, जबकि व्यय पक्ष पर वृद्धि केवल 1.4 फीसद थी, और विसंगति को समझाया नहीं गया था।
एनएसओ ने पहले अंक को सही माना और मान लिया कि दूसरा अंक समय आने पर दुरुस्त हो जाएगा। प्रोफेसर मोदी के मुताबिक, जब हम भारतीय आंकड़ों पर बीईए विधि लागू करते हैं, सबसे हालिया विकास दर 7.8 फीसद से गिरकर 4.5 फीसद हो जाती है। धीमी वृद्धि, बढ़ती असमानताओं और नौकरी की कमी के बारे में उनकी टिप्पणियां निर्विवादित हैं। पिछले स्तंभों में, मैंने असमानता और बेरोजगारी के बारे में टिप्पणियों के पक्ष में आंकड़े दिए हैं।
विकास के आंकड़ों को एक तरफ रखते हुए, मुझे भारत द्वारा किए गए कुछ वादों और प्रतिबद्धताओं को लेकर सुखद आश्चर्य हुआ : केंद्रीय बैंक की स्वाधीनता; नवाचार को बढ़ावा दे रहे और रोजगार पैदा कर रहे एमएसएमई; संरक्षणवाद और बाजार को विकृत करने वाली प्रथाओं को हतोत्साहित करना; सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी; और यह सुनिश्चित करना कि कोई भी पीछे न छूटे। मुझे विश्वास है कि इस दुर्जेय एजंडे से निपटने के लिए, या तो सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होगी या लोगों को सरकार बदलनी होगी।
फिलहाल भारत जी-20 में शीर्ष के आसपास भी नहीं है। प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक, श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), वैश्विक भूख सूचकांक और कुछ अन्य मापदंडों के मामले में यह सबसे नीचे है। मुझे उम्मीद है कि भारत जी-20 में अपनी बात पर कायम रहेगा और शीर्ष पर पहुंचेगा।