चंद्रमा पर पानी कहां से आया। इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 1 के डाटा का अध्ययन किया तो पता चला कि इसमें पृथ्वी का ही बड़ा योगदान है। माना जा रहा है कि हमारे ग्रह की प्लाज्मा शीट में हाई एनर्जी इलेक्ट्रान्स हैं। उनकी वजह से ही चंद्रमा पर पानी की उत्पत्ति हो रही है।
मिशन चंद्रयान1 के डाटा के मुताबिक प्लाज्मा शीट्स Magnetosphere के भीतर पाए जाते हैं। ये वो क्षेत्र है जो पृथ्वी के चारों तरफ होता है। इसका नियंत्रण पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड में होता है। इसकी वजह से अंतरिक्ष के मिजाज और सूर्य के रेडिएशन से पृथ्वी का बचाव होता है। सोलर विंड्स Magnetosphere को अक्सर पुश करती रहती हैं, जिससे इसका आकार बनता बिगड़ता रहता है। इसकी वजह से रात के समय में Magnetosphere धूमकेतू की तरह से दिखने लग जाता है। इसकी टेल में मौजूद प्लाज्मा शीट में हाई एनर्जी इलेक्ट्रान्स और आयन होते हैं। ये पृथ्वी और सोलर विंड्स की वजह से बनते हैं। जर्नल Nature Astronomy में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक ये सारा डाटा 2008-09 के दौरान मिशन चंद्रयान 1 के तहत एकत्र किया गया था। इसमें देखा गया था कि जब चांद पृथ्वी की Magnetotail से गुजरता है तो पानी बनने की प्रक्रिया में किस तरह का बदलाव होता है।
ध्यान रहे कि चंद्रमा को समझने के लिए वैज्ञानिक लगातार मशक्कत कर रहे हैं। हाल ही में भारत ने चंद्रयान3 मिशन के तहत विक्रम को वहां लैंड कराया था। इसका मकसद चंद्रमा के हाव भाव को बारीकी से समझना था। भारत इस दिशा में विक्रम लैंडर को चंद्रमा पर उतारकर बड़ी कामयाबी हासिल कर चुका है। चांद के जिस हिस्से में विक्रम ने लैंड किया वहां दुनिया का कोई भी दूसरा देश नहीं पहुंच सका है। हालांकि बीते साल चंद्रमा पर लैंडर को उतारने की भारत की कोशिश बेकार हो गई थी। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने फिर से कमर कसी और विक्रम को लैंड करा ही दिया। इस मिशन की कामयाबी को दुनिया भर में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों की कोशिश वाकई बेजोड़ रही है।