सनातन धर्म पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक केवल नेताओं के बयानों में ही इसके पक्ष और विपक्ष में बातें हो रही थीं, अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मद्रास हाईकोर्ट के कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर स्टालिन को आगे किसी तरह की टिप्पणी नहीं करने का निर्देश देने की मांग की। साथ ही सनातन धर्म के खिलाफ होने वाली सभी बैठकों पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत इस पर कोई सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जल्द सुनवाई के लिए पहले ईमेल करें। उसके बाद हम देखेंगे।
दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन सनातन विरोधी रवैया अपना रही है। पार्टी ने कहा कि विपक्षी गठबंधन समाज में टकराव लाना चाहता है। उदयनिधि के बयान पर पार्टी नेताओं ने कहा कि उनको कांग्रेस और दूसरे दलों का समर्थन प्राप्त है। उनकी ही शह पर उदयनिधि ऐसे बयान दे रहे हैं।
उदयनिधि स्टालिन ने जबसे बयान दिया है, तब से इस पर हंगामा मचा हुआ है। उनके बयान पर हंगामा हो ही रहा था, इधर, डीएमके के एक अन्य नेता ए राजा ने आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने बुधवार को चेन्नई में एक नए विवाद को जन्म देते हुए सनातन धर्म की तुलना HIV और कुष्ठ रोग से कर दी।
ए राजा बुधवार को द्रविड़ कज़गम द्वारा चेन्नई में विश्वकर्मा योजना के विरोध में आयोजित की गई एक बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब उदयनिधि ने सनातन धर्म को मलेरिया, डेंगू और कोरोना की तरह खत्म करने की बात कही, तब वो नम्र थे।
उन्होंने आगे कहा कि मलेरिया और डेंगू से न तो घृणा का भाव जुड़ा है और न ही इन्हें सामाजिक अपमान माना जाता था। अतीत में कुष्ठ रोग और हाल के दिनों में HIV को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। जहां तक हमारा सवाल है, सनातन धर्म को एक ऐसी बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिए जो HIV और लेप्रोसी की तरह एक सामाजिक अपमान है। इस दौरान उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोला। ए राजा ने कहा कि अगर उन्होंने सनातन धर्म का पालन किया होता तो वो विदेश नहीं जा पाते क्योंकि एक अच्छे हिंदू को समुद्र नहीं पार करना चाहिए।