नई दिल्ली जी20 नेताओं की घोषणा को शनिवार को पूर्ण सहमति तक पहुंचाने के लिए विदेश सेवा के चार भारतीय राजनयिकों को सदस्य देशों के साथ कई महीनों की कड़ी मेहनत करनी पड़ी। 3 सितंबर से तो वे लगातार जाग रहे हैं। ये चार अधिकारी हैं अभय ठाकुर, आशीष सिन्हा, नागराज नायडू काकानूर और एनम गंभीर।
अतिरिक्त सचिव अभय ठाकुर भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत के नंबर 2 सूस-शेरपा हैं। वह मॉरीशस और नाइजीरिया में भारत के दूत रहे हैं, और विदेश मंत्रालय में नेपाल और भूटान को संभाला है। ठाकुर विदेश मंत्री कार्यालय में निदेशक भी रहे हैं। वह रूसी भाषा बोल लेते हैं, जिसे उन्होंने अपने प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में सीखी। वह यहां काम आई। संयुक्त सचिव नागराज नायडू काकनूर टीम में चीनी भाषा के जानकार हैं। यूक्रेन संघर्ष में एक प्रमुख वार्ताकार रहे नायडू के पास संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में शेफ डी कैबिनेट के रूप में व्यापक बहुपक्षीय अनुभव है। वह संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि थे और योग में विशेषज्ञ होने के नाते योग दिवस समारोह का नेतृत्व करते थे।
1998 बैच के आईएफएस नायडू एक धाराप्रवाह चीनी वक्ता हैं और उन्होंने बीजिंग, हांगकांग और गुआंगज़ौ में चार अलग-अलग पदों पर कार्य किया है। उन्होंने विदेश मंत्रालय के आर्थिक कूटनीति प्रभाग को संभाला है और यूरोप पश्चिम प्रभाग का नेतृत्व किया है। जहां वह यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और यूरोपीय संघ सहित प्रमुख जी 7 देशों के साथ संबंधों के प्रभारी थे। उन्होंने फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से मास्टर डिग्री प्राप्त की है।
टीम में एकमात्र महिला अधिकारी ईनम गंभीर वर्तमान में संयुक्त सचिव जी20 और 2005 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के अध्यक्ष के कार्यालय में शांति और सुरक्षा मुद्दों पर वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य किया है।
गंभीर ने मैक्सिको और अर्जेंटीना समेत लैटिन अमेरिका के दूतावासों में भी काम किया है। वह एक धाराप्रवाह स्पेनिश वक्ता, उन्होंने 2011 से 2016 तक नई दिल्ली में काम करते हुए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से संबंधित मुद्दों को संभाला है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में भी काम किया है। उसके पास दिल्ली विश्वविद्यालय से गणित में और जिनेवा विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में दो मास्टर डिग्री हैं। वह स्पेनिश, अंग्रेजी और हिंदी में कविताएं लिखती हैं।
2005 बैच के एक अन्य आईएफएस अधिकारी आशीष सिन्हा भी स्पेनिश भाषा में पारंगत हैं और मैड्रिड, काठमांडू, न्यूयॉर्क और नैरोबी में सेवा दे चुके हैं। नई दिल्ली में उन्होंने विदेश मंत्री के कार्यालय और पाकिस्तान के लिए डेस्क अधिकारी के रूप में काम किया। जी20 में संयुक्त सचिव बनने से पहले वह पिछले सात वर्षों से बहुपक्षीय सेटिंग्स में भारत के लिए बातचीत कर रहे हैं।
नायडू और गंभीर को यूक्रेन संघर्ष पैराग्राफ के लिए कठिन बातचीत का काम सौंपा गया था। जब उन्होंने जी20 शेरपा बैठकों के लिए विभिन्न स्थानों की यात्रा की। यह जानते हुए कि राजनयिकों से भरे कमरे में, अपने मन की बात कहने के लिए ज्यादा स्कोप नहीं है, उन्होंने कॉफी पर एक-पर-एक कई सत्र किए। एक वार्ताकार ने कहा, “इनमें सभी पक्ष कहीं अधिक उचित थे।” बाली के ठीक बाद चुनौती सामने आई। एक वार्ताकार ने कहा, “नवंबर में आखिरी शिखर सम्मेलन के बमुश्किल एक महीने बाद, (यूक्रेन पर) सर्वसम्मति दिसंबर में टूट गई। इसलिए एक नए फॉर्मूलेशन के साथ आने की जरूरत थी।”
भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने रविवार को कहा कि नई दिल्ली ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘जी20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की। संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत राजनयिकों के एक दल ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और ‘जी20 लीडर्स समिट’ के पहले दिन ही सर्वसम्मति बनाने के लिए विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को 15 मसौदे वितरित किए। कांत ने कहा, ‘‘पूरे जी20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा भूराजनीतिक पैराग्राफ (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था। यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 मसौदों के साथ किया गया।’’ कांत ने कहा कि इस प्रयास में नायडू और गंभीर ने उनका काफी सहयोग किया।
भारत इस विवादित मुद्दे पर जी20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में कामयाब रहा और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं जैसे कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई। ‘जी20 लीडर्स डिक्लेरेशन’ में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख करने से बचा गया और इसके बजाय सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुत्ता के सिद्धांतों का सम्मान करने का आह्वान किया गया। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून एवं शांति तथा स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।’’