एक विपक्षी कहिन : ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का विचार संघीय ढांचे पर हमला है। भारत राज्यों का संघ है..। दूसरा कहिन: ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ एक धोखा है..। तीसरा कहिन: ये देश को बर्बाद करने की कोशिश है..। सरकार ने कहा भी कि कमेटी बना दी है लेकिन ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का बुखार न उतरा बल्कि जल्द ही वह ‘सरसांव’ में बदल गया।
इसी बीच, ‘आइएनडीआइए’ के एक दक्षिणी नेता ने ‘सनातन निर्मूलन’ कार्यक्रम में सनातन पर ही ‘गोला’ दाग दिया। कहा कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया, कोरोना की तरह है इसे खत्म किया जाना चाहिए। समानता व सामाजिकता के खिलाफ है..। इसी क्रम में एक दाक्षिणात्य नेता-पुत्र भी बोले कि जो धर्म समानता नहीं करता वो बीमारी है..।
इसके बाद दनादन होना था सो जम के हुआ! एक रिपोर्टर ने जब एक विपक्षी प्रवक्ता से पूछा तो वे बोले कि अगर किसी ने ऐसा बयान दिया है तो उसे तुरत माफी मांगनी चाहिए हम सनातनी हैं सनातन सबसे श्रेष्ठ है। दूूसरे बड़के प्रवक्ता जी तटस्थ खेले कि हम तो सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखते हैं जी। ऐसे बयान से अपना लेना देना नहीं है जी।
जारी बहसों में एक सनातनी बाबा कहे : सनातन अमर है, उसे कोई नहीं मिटा सकता। एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आइएनडीआइए ने सनातन का अपमान किया। वर्ष 2024 में दूरबीन से भी दिखाई न देंगे। एक युवा बाबा जी ने बोल दिया कि सनातन के खात्मे की बात करने वाले रावण के खानदान के हैं।
एक और सनातनपक्षी पूर्वमंत्री व वर्तमान सांसद सक्रोध बोले कि क्या ये किसी अन्य धर्म के बारे में ऐसा बोल सकते हैं? एक और सनातनपक्षी नेता बोले : हम इस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे। एक और सांसद बोले कि ये ‘जी 20’ के समय में माहौल बिगाड़ना चाहते हैं… एक साधु उवाच कि जो सनातन को नष्ट करने आए, स्वयं नष्ट हो गए… इस पर भी, एक विपक्षी प्रवक्ता कहिन कि ये उनके निजी विचार हैं..।
एक चैनल ने यह लाइन लगाई कि सनातन को मलेरिया बताने वाले ने ‘आइएनडीआइए’ को ही फंसा दिया : ‘सनातन’ पर ‘एआइएनडीआइए’ में मतभेद साफ दिखे : उसके एक नेता कहते दिखे कि ऐसा जिसने कहा उसको बुद्धि नहीं है… गठबंधन के ही एक अन्य नेता ने कहा कि ऐसे बयान से उनको बचना चाहिए था..।
इसी बीच ‘भावनाएं आहत’ के आरोप में मुजफ्फरपुर व दिल्ली में ‘हेटस्पीच’ वाले नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो गईं..। इस पर भी अपने ‘हठीले जी’ बोले कि मैं किसी से नहीं डरता हालांकि कुछ ही बाद कहने लगे मेरी बात को गलत तरीके से पेश किया गया..। इसके बाद लगभग हर चैनल पर सनातन ही सनातन का राग था। एक शाम दो हिंदी चैनलों के पापुलर ‘पब्लिक डिबेट शोज’ में बहसती पब्लिक इतनी अधिक ‘सनातनवादी’ नजर आई कि हर बात पर ‘भारत माता की जय’ सुनाई पड़ती।
एंकर बड़ी मुश्किल से पब्लिक को कंट्रोल कर पाते…सब एक ही सुर में बोलते कि सनातन को कोई मिटा नहीं सकता, कि मर गए सनातन को मिटाने वाले, कि सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान 2024 में देख लेना..। सनातन के पक्षधर कोंचते: ‘आइएनडाआइए’ चुप क्यों? नित्य के ‘ट्वीट वीर’ चुप क्यों? क्या मुंह में दही जम गया?
सच! इन दिनों बोल की नहीं कुबोल की कीमत है। कड़वे कुबोल ही इन दिनों चैनलों की ‘चरचा चैपाल’ जमाते-कमाते हैं। नेता जानते हैं कि खबर में रहना है तो एक जहर बुझा ‘कुबोल’ बोल दो। मार पड़े तो माफी मांग लो। एक सनातनवादी कहे कि ये 80 करोड़ भारतीयों का अपमान है तो दूसरा कहे कि ये सौ करोड़ का भारतीयों का अपमान है तीसरा कहे कि भारत भर का अपमान है एक मंत्री कहिन कि ‘घमंडियो’ सुनो : सनातन था, है और रहेगा..।
‘सनातन को खात्मे’ वाले वाक्य ने भी गजब ढाया। एक बहस में एक ने कहा अगर आज कोई दूसरे धर्मों के ‘नाश’ की बातें करने लगे तो क्या होगा? ये तो सोचो! कुछ उदारमना कहते कि धर्म में ‘सुधार’ की बात करना तो समझ में आता है, सनातन स्वयं सुधार का समर्थक रहा है, सती उन्मूलन, विधवा विवाह सुधार हुए हैं।
ऐसी तीखी बहसों के ऐन बीच फिर एक अन्य दाक्षिणात्य रणबांकुरे जी और भी कड़वे बोल बोलते दिखे कि सनातन ‘एचआइवी’ और ‘कोढ़’ की तरह है।इसके सीधे विरोध में एक विपक्षी आचार्य बोले कि सनातन पर ऐसे बोल वाले ‘आइएनडीआइए गठबंधन’ को ‘टाइटेनिक’ बना देंगे..। सनातन के पक्षधर एक सीएम ने कहा : सनातन नहीं मिटा रावण के अंहकार से, सनातन नहीं मिटा कंस की हुंकार से, सनातन नहीं मिटा औरंगजेब के अत्याचार से..।
इसी बीच ‘जी 20’ के आमंत्रण पत्र पर जैसे ही ‘प्रेसीडेंट आफ भारत’ छपा कि ‘हाय हाय’ शुरू। एक विपक्षी कहिन कि ये ‘भारत’ यहां क्यों? बहरहाल, इसके आगे ‘जी 20’ ही ‘जी 20’ था। बड़े देशों के बड़े विदेशी नेता थे। सात सितारा होटल थे। भारत की मेहमान नवाजी थी। सुरक्षा थी। ‘भारत मंडपम्’ था और हर चैनल शुक्रवार के दिन भर ‘जी 20’ के कवरेज करते हुए गदगद था!