भारतीय जनता पार्टी ने चार में से तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहरा दिया है। इन तीन राज्यों में भी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत अभूतपूर्व रही है। पार्टी ने यहां 20 साल पहले के परिणामों को करीब-करीब दोहराया है। चुनाव अभियान की शुरुआत के दौरान अलग-थलग पड़े मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भविष्य को लेकर भाजपा अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लीक से हटकर फैसले करने के लिए जाने जाते हैं, ऐसे में शिवराज को ‘राज’ मिलेगा या नहीं इस पर अभी अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। जीत के बाद दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी शिवराज सिंह चौहान का नाम लेने से परहेज किया।
मध्य प्रदेश में भाजपा ने मुख्यमंत्री के रूप में किसी का नाम प्रस्तावित नहीं किया था लेकिन शानदार चुनाव परिणाम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीतियों पर मुहर लगाई है। चौहान समेत कई भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि उनकी लाडली बहना योजना, जिसके तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,250 रुपए मिलते हैं, इस चुनाव में ‘ गेम चेंजर’ साबित हुई।
पार्टी ने मध्य प्रदेश में सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से पांच ने जीत दर्ज की है जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी चुनाव मैदान में थे और उन्होंने भी जीत दर्ज की है। ऐसे में अब पार्टी के पास मुख्यमंत्री बनाने के लिए पर्याप्त और योग्य उम्मीदवार मौजूद हैं। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान की गद्दी को चुनौती मिलने की पूरी संभावना है। मध्य प्रदेश में 2018 के चुनावों के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में करीब 15 महीनों तक रही कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को छोड़ दें तो वह (शिवराज) 2005 से ही सत्ता पर काबिज हैं।
चुनाव प्रचार से पहले के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भाजपा नेतृत्व शिवराज के विकल्प बारे में सोचना शुरू कर दिया था। बात इसी साल 21 अगस्त की है, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह भोपाल के दौरे पर आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने शिवराज सरकार का ‘रिपोर्ट कार्ड’ भी जारी किया। इसी आयोजन के दौरान पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा था, ‘शिवराज जी अभी मुख्यमंत्री हैं ही। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, यह पार्टी का काम है और पार्टी ही तय करेगी।‘ यहीं से संकेत मिलने लगे थे कि पार्टी के अब तक के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान का विकल्प खोज रही है।
इसके बाद 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में ‘कार्यकर्ता महाकुंभ’ में शामिल होने के लिए आए। जम्बूरी मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने 40 मिनट तक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने न तो शिवराज सिंह चौहान का जिक्र किया, न मध्य प्रदेश सरकार की ह्यमहत्त्वाकांक्षी योजनाओंह्ण का ही नाम लिया। मोदी, भोपाल से दिल्ली लौटे। उसी दिन शाम को भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी। इसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा चार सांसदों के नाम भी थे। इसके साथ ही पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का भी नाम था।
हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी केंद्रीय नेतृृृृत्व पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोडा। जब शुरुआती चार सूचियों में उनका नाम नहीं नजर आया तो उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता से पूछा, ‘बताइए चुनाव लड़ूं या नहीं? यहां से लड़ूं या नहीं?’ एक अन्य स्थान पर जनसभा में उन्होंने जनता से पूछा, ‘बताइए मोदी जी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए या नहीं?’ इन सवालों पर जनता के जवाब ने नहीं, बल्कि खुद इन सवालों ने कई की भृकुटियां टेढ़ी कर दीं। सीहोर में आंसू बहाते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरी बहनों, ऐसा भैया नहीं मिलेगा। जब मैं चला जाऊंगा तब तुम्हें याद आऊंगा।’