केंद्र सरकार की देशभर में चल रही सड़क परियोजनाओं को झटका दे रहे ठेकेदारों को केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने तगड़ा झटका दिया है। इन फंसी योजनाओं को फिर से दौड़ाया जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत ऐसे लापरवाह ठेकेदारों को अयोग्य करार कर दिया है। ये ठेकेदार अब किसी भी सरकारी एजंसी के साथ दो साल तक के लिए काम नहीं कर पाएंगे।
मंत्रालय ने हाल ही में कानपुर के दो तरफा मार्ग के निर्माण की विस्तृत कार्य योजना तैयार की थी। इस योजना का कार्य इंटरनेशनल टैक प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी हरेंद्र कुमार सिंह को सौंपा गया था। यह कार्य राजमार्ग 86 पर किया जाना था। इस परियोजना के लिए मंत्रालय के पास फर्जी कागजात के आधार पर आवेदन किया गया था, जांच में सामने आया था कि हरेंद्र कुमार ने मंत्रालय के बीटेक से संबंधित अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री का प्रयोग किया था। इस फर्जी डिग्री के आधार पर इस काम का ठेका भी पा लिया था, लेकिन जैसे ही जांच में यह गड़बड़ी सामने आई तो मंत्रालय ने इन्हें अपनी काली सूची में डाल दिया।
इन्हें मंत्रालय की तरफ से तीन साल के लिए किसी भी सरकारी कामकाज में शामिल नहीं होने के लिए इस सूची में डाला है। इस बाबत स्थानीय अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण संजीव कुमार शर्मा ने आदेश व दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू कश्मीर के एक दो लेन मार्ग निर्माण के मामले में ऐसी कोई गड़बड़ी सामने नहीं आए। इसके लिए मंत्रालय ने काम के लिए आगे आने वाले एक दर्जन से अधिक ठेकेदारों की सूची भी जारी की है।
इस सूची को सभी संबंधित विभागों को भेजा गया है। इसके माध्यम से मंत्रालय ने सभी विभागों से रिपोर्ट मांगी है कि वे इस बाबत की रिपोर्ट मंत्रालय को भेजे की काम करने वाले ठेकेदार किसी काली सूची में तो शामिल नहीं है। ताकि राज्य के काम को पूरा करने के लिए पहल की जा सके। मंत्रालय के मुताबिक इटा नगर की एक परियोजना के लिए मंत्रालय की तरफ से जावेद खान को बतौर सलाहकार नियुक्ति किया गया था।
इनके माध्यम से राज्य में तीन चरण में एक सड़क परियोजना का काम किए जाने की कार्य योजना को स्वीकार किया गया था लेकिन जावेद खान की कंपनी ने इस परियोजना में शामिल होने ही इंकार कर दिया। इस वजह से मंत्रालय ने इस कंपनी को केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय से संबंधित सभी विभागों से मिलने वाली परियोजनाओं से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अब यह कंपनी आने वाले दो साल तक मंत्रालय से संबंधित किसी परियोजना पर काम नहीं कर सकेगी। इस बाबत अधिशासी अभियंता अमित कुमार सिंह के आदेशों से आदेश जारी किए गए हैं। इसकी प्रति मंत्रालय के सभी संबंधित विभागों को भेजी गई है।