UN Climate Change Conference: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब से कुछ देर बाद क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए दुबई की दो दिन की यात्रा पर रवाना होंगे। यह समिट उत्सर्जन को कम करने और मौसम संबंधी घटनाओं से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करने पर केंद्रित होगा। यह जलवायु को लेकर यूएन (UN) की कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज की 28वीं बैठक का हिस्सा है। इसलिए इसको COP28 नाम दिया गया है।
दुनियाभर के कई नेता इस समिट में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी भारत के महत्वाकांक्षी जलवायु एजेंडे और संबंधित मुद्दों पर अपनी बात रख सकते हैं। प्रधानमंत्री को समिट में हिस्सा लेने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने इनवाइट किया है।
यूएई (UAE) की अध्यक्षता में 28 नवंबर से 12 दिसंबर तक COP28 का आयोजन किया जा रहा है। COP28 जलवायु प्रतिबद्धताओं पर कार्य करने और जलवायु परिवर्तन के सबसे खराब प्रभावों को रोकने के लिए एक अहम पहलू माना जा रहा है।
इस समिट में 2015 पेरिस समझौते को लागू करने में वैश्विक प्रगति का पहला आकलन होगा। इसके निष्कर्ष हैं कि दुनिया इस सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की दिशा में नहीं है। इस निष्कर्ष में कहा गया है कि देश भविष्य के लिए योजनाएं विकसित कर रहे हैं, लेकिन यह इतना तेज नहीं हैं कि समय सीमा के अंदर वार्मिंग को सीमित किया जा सके।
यूएन (UN) क्लाइमेट चेंज द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि नेशनल क्लाइमेट चेंज एक्शन प्लान सामूहिक रूप से 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2019 के स्तर से 2% कम कर देंगी, जबकि इसमें 43% कमी की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 198 देश सदस्य हैं। दुबई में होने जा रही समिट में 160 वैश्विक नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि राष्ट्रों के बीच सहयोग से ही इससे निपटा जा सकता है। कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा इस समिट में क्लाइमेट साइंटिस्ट, युवा, बिजनेस लीडर, पत्रकार और स्थानीय लोग और अन्य एक्सपर्ट समेत 7 हजार लोग शामिल होंगे।
COP27 के अध्यक्ष और मिस्त्र के विदेश मामलों के मंत्री समेह शौकरी ने कहा कि पिछली उपलब्धियों को जारी रखना अहम है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस पर हम पहले ही सहमत हो चुके हैं उसे लागू करना है। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी को सबसे महत्वपूर्ण रूप से ग्लोबल साउथ को साथ लिए बिना अपने लक्ष्य को अर्जित नहीं कर सकते।